usha bhavarth (saransh)

पद्य-8 | उषा भावार्थ (सारांश) – शमशेर बहादुर सिंह | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

प्रसिद्ध कविता उषा शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित है। जिसमें कवि ने भोर की सुंदरता का व्याख्यान करते हुए कहते हैं की, भोर का जो आकाश है वह शंख की तरह नीला है बादलों से घिरा हुआ नीला आकाश भोर में शंख की समान दिखाई देता है। आंगन में जो मिट्टी का चूल्हा है वह अभी गिला है। भोर के समय जो आकाश में अंधकार होता है वो काली सिल के समान होता है। जिस पर मसाला पीसा जाता है।