Juthan saransh

गद्य-10 | जूठन (सारांश) – ओमप्रकाश वाल्मीकि | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

ओमप्रकाश वाल्मीकि की “आत्मकथा” “जूठन” पिछड़ी-दलित एवं निम्न जाति के लोगों के दैनीय स्थिति को दर्शाती है। ओमप्रकाश वाल्मीकि चूहड़े जाति से थे। नीची जाति के होने के कारण उन्हें स्कूल में बैठने नहीं दिया जाता था। उनसे झाड़ू लगवाया गया। उनकी माता तागाओ (हिंदू-मुसलमान) के घर और मवेशियों के रहने के स्थान में साफ-सफाई का काम करती थी। घर के सभी लोग माॅं का हाथ बटाटे थे।‌ सालों भर काम करने के बाद भी उन्हें 12 से 13 किलो ही अनाज मिलता था।