अध्याय-6

द्वितीयक क्रियाएँ

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उत्खनन एवं वस्तुओं का विनिर्माण द्वितीयक क्रियाएँ हैं ।

महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर

उत्तर- मशीनों, औजारों, और श्रम का उपयोग करके सामान बनाने की क्रिया को विनिर्माण कहते हैं |

उत्तर- किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए मशीनों का प्रयोग करना यंत्रीकरण कहलाता हैं ।

प्राथमिक क्रियाएँ जब प्राकृतिक संसाधनों से प्रयोग की जाने वाली वस्तुएँ सीधे रूप से पर्यावरण से प्राप्त हो जाए तो, उसे प्राथमिक क्रियाएँ कहते हैं। 

द्वितीयक क्रियाएँ जब किसी प्राकृतिक पदार्थ का रूप या स्थान बदल दिया जाए। तो उसका मूल्य बढ़ जाता है उसे द्वितीयक क्रियाएँ कहते हैं ।

(i) कार्य क्षमता के आधार पर :-
     A) वृहत उद्योग– बड़े पैमाने पर
     B) लघु उद्योग– फर्मों द्वारा ।

(ii) औद्योगिक विकास के आधार पर :-
     A) कुटीर उद्योग
     B) आधुनिक शिल्प उद्योग

(iii) स्वामित्व के आधार पर :-
     A) सार्वजनिक क्षेत्र (सरकार द्वारा)– रेल, कारखाना, BSNL
     B) निजी क्षेत्र (प्राइवेट द्वारा)– काटा रिलायंस
     C) संयुक्त क्षेत्र

(iv) कच्चे माल के आधार पर :-
     A) कृषि आधारित– चीनी, चायपत्ती, सूती वस्त्र
     B) खनिज आधारित– लौह, सीमेंट
     C) वन आधारित– लकड़ी, कागज
     D) पशु आधारित– चमड़ा, ऊन ।

(v) वस्तुओं के आधार पर :-
     A) हल्का उद्योग
     B) भारी उद्योग

उत्तर- कार्बोनिफेरस युग में अंटार्कटिक व प्रशांत महासागर के तटीय भाग जंगलों से भरे हुए थे। लेकिन वक्त के साथ ये जंगल चट्टानों के अंदर दब गए। अतिरिक्त गर्मी और दबाव के कारण यह जंगल चट्टानों की तहों के अंदर कोयले में परिवर्तित हो गए। इसी कारण से संसार के कोयला प्रदेश समुंद्र तटीय भागों में पाए जाते हैं। ये ही कोयला प्रदेश से आर्थिक लाभ की भावना के कारण इस्पात के औद्योगिक केंद्र बन गए ।
वर्तमान समय में तटीय भागों की ओर उद्योगों के स्थांतरण का एक कारण यह भी है कि यह भाग विदेशी बाजार के विस्तार में सहायक होते हैं। अर्थात समुद्री यातायात द्वारा उत्पादित माल को बाहर भेजा जा सकता है और कच्चा माल इत्यादि मंगाया जा सकता हैं ।

उत्तर- कुटीर उद्योग सामूहिक रूप से उन उद्योगों को कहते हैं, जिनमें उत्पाद एवं सेवाओं का सृजन अपने घर में ही किया जाता है ना कि किसी कारखाने में ।
कुटीर उद्योग में कुशल कारीगरों द्वारा कम पूंजी एवं अधिक कुशलता से अपने हाथों के माध्यम से अपने घरों में वस्तुओं का निर्माण किया जाता हैं ।

उत्तर- लघु उद्योग वे इकाईयाँ होती है जो मध्यम स्तर के विनियोग की सहायता से उत्पादन प्रारंभ करती है। इन इकाइयों में श्रम शक्ति की मात्रा भी कम होती है और सापेक्षिक रूप से वस्तुओं एवं सेवाओं का कम मात्रा में उत्पादन किया जाता हैं ।

उत्तर- वे उच्च प्रौद्योगिक उद्योग जो आत्मनिर्भर एवं उच्च विशिष्टता के लिए होते हैं, उन्हें प्रौद्योगिक ध्रुव कहा जाता हैं ।

● निर्माण उद्योग- लोह इस्पात, वस्त्र, मोटर गाड़ी निर्माण, इलेक्ट्रोनिक्स विश्व के प्रमुख निर्माण उद्योग हैं ।

उत्तर- कृषि आधारित उद्योग में भोजन तैयार करने वाला उद्योग शक्कर, आचार, फलों के रस, पेय पदार्थ (चाय, कॉफी), मसाले, तेल एवं वस्त्र (सूती, रेशमी, जूट) तथा रबड़ उद्योग आते हैं ।

उत्तर- इन उद्योगों में खनिजों को कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता हैं ।

उत्तर- इस प्रकार के उद्योग में प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले रसायनिक खनिजों(पेट्रोलियम) का उपयोग होता हैं ।

उत्तर- इस प्रकार के उद्योगों में वनों एवं जंगलों में पाए जाने वाले वस्तुएँ जैसे- फर्नीचर उद्योग के लिए इमारती लकड़ी, कागज उद्योग के लिए लकड़ी, बांस एवं घास इत्यादि का उपयोग होता हैं ।

उत्तर- इस प्रकार के उद्योगों में चमड़ा एवं ऊन, हाथीदांत के लिए पशुओं का उपयोग होता हैं ।

उत्तर- वे उद्योग जिनके उत्पाद को अन्य वस्तुएँ बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयोग में लाया जाता है, उन्हें आधारभूत उद्योग कहते हैं ।
जैसे- लौह उद्योग, सीमेंट उद्योग ।

उत्तर- गैर-आधारभूत उद्योग वैसे उद्योग को कहते हैं, जिसमें कच्चा माल किसी और उद्योग के काम नहीं आता बल्कि इसका उत्पादन उपभोक्ताओं के काम आता हैं ।
जैसे- चीनी उद्योग, इत्यादि ।

उत्तर- लौह इस्पात उद्योग सभी उद्योगों का आधार है इसलिए इसे आधारभूत उद्योग भी कहा जाता हैं । लोहा निकालने के लिए लौह अयस्क को झोंका भट्टियों में कार्बन एवं चुना पत्थर के साथ प्रगलन किया जाता है। पिघलता हुआ लौह बाहर निकलकर जब ठंडा हो जाता है तो इसे कच्चा लोहा कहते हैं। इसी कच्चे लोहे में मैंगनीज मिलाकर इस्पात बनाया जाता हैं ।

वितरण :-
यह एक जटिल उद्योग है, जिसमें अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है। उत्तर अमेरिका, यूरोप, एशिया के विकसित देशों में इसका केंद्रीकरण हैं। 

संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-इस्पात उत्पादन करने वाले प्रमुख क्षेत्र:- शिकागोगैरी, इरी, एटलांटिक तट, पिट्सबर्ग (जंग का कटोरा) ।

उत्तर- इस उद्योग में सूती कपड़े का निर्माण हथकरघा, बिजली करधा, एवं कारखानों में किया जाता है। हाथकरधा क्षेत्र में अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है एवं यह अर्द्धकुशल श्रमिकों को रोजगार प्रदान करती है। पूँजी की आवश्यकता भी इसमें कम होती है। इसके अंतर्गत सूत की कताई, बुनाई आदि का कार्य किया जाता है। बिजली करधों से कपड़ा बनाने में यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। 

वितरण :-
अतः इसमें श्रमिकों की कम आवश्यकता पड़ती है एवं उत्पादन भी अधिक होता हैं । महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल आदि ।

उत्तर- यह उद्योग व्यापक विविधता वाले स्थानों में स्थित होते हैं। यह उद्योग कच्चा माल पर निर्भर नहीं रहते हैं। बल्कि यह तो संघटक पुर्जो पर निर्भर रहते हैं, जो कहीं से भी प्राप्त किया जा सकता है। इसमें उत्पादन कम मात्रा में होती है एवं श्रमिकों की भी कम आवश्यकता होती है। सामान्यतः यह उद्योग प्रदूषण नहीं फैलाते हैं ।

उत्तर- प्राथमिक एवं द्वितीयक गतिविधियों में निम्नलिखित अंतर हैं :-

# प्राथमिक गतिविधियाँ :-
i) इनमें वे मानवीय क्रियाकलाप आते हैं, जो सीधे पर्यावरण से जुड़े होते हैं।
ii) प्राकृतिक से प्राप्त पदार्थों का उपभोग बिना प्रसंस्करण के अथवा अल्प- प्रसंस्करण के उपभोक्ताओं द्वारा कर लिया जाता हैं ।
iii) इसके अंतर्गत- आखेट, भोजन संग्रह, पशुचारण, मछली पकड़ना, वनों से लकड़ी, कंद-मूल-फल व अन्य उत्पाद एकत्रित करना, कृषि एवं खनन कार्य सम्मिलित किए जाते हैं ।

# द्वितीयक गतिविधियाँ :-
i) इनमें वे मानवीय क्रियाकलाप आते हैं जिनके द्वारा प्राथमिक उत्पादों के गुणों व रूप में परिवर्तन करके उन्हें और अधिक उपयोगी व मूल्यवान बनाया जाता हैं ।
ii) विभिन्न यांत्रिक व मशीनीकृत प्रक्रियाओं के द्वारा प्राथमिक उत्पादों को प्रसंस्कृत करने के बाद उपभोक्ताओं के उपभोग के लिए भेजा जाता है ।
iii) इसके लिए छोटे घरेलू उपयोग से लेकर बड़े-बड़े कारखाने व औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित की गई है। उत्खनन व वस्तुओं का विनिर्माण इसके अंतर्गत आते हैं ।

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