दिगंत भाग 2

पद्य-1 | कड़बक भावार्थ (सारांश) – मलिक मुहम्मद जायसी | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

विवरण

kadbak bhavarth (saransh)

आधारित पैटर्नबिहार बोर्ड, पटना
कक्षा12 वीं
संकायकला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc)
विषयहिन्दी (100 Marks)
किताबदिगंत भाग 2
प्रकारभावार्थ (सारांश)
अध्यायपद्य-1 | कड़बक – मलिक मुहम्मद जायसी
कीमतनि: शुल्क
लिखने का माध्यमहिन्दी
उपलब्धNRB HINDI ऐप पर उपलब्ध
श्रेय (साभार)रीतिका
पद्य-1 | कड़बक भावार्थ (सारांश) – मलिक मुहम्मद जायसी | कक्षा-12 वीं

कड़बक का प्रथम खण्ड

kadbak bhavarth (saransh)

एक नैन कबि मुहमद गुनी । सोइ बिमोहा जेईं कवि सुनी ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, मै एक ही आँख से गुणी हूँ, लेकिन जिसने भी मेरी वाणी को सुना है। वो मुझसे मोहित हो गया है। मैंने अपने रूपहीनता पर नही अपने गुणों पर अधिक ध्यान दिया है।


चाँद जइस जग विधि औतारा । दीन्ह कलंक कीन्ह उजिआरा।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, चाँद जो इस संसार मै ईश्वर का औतार है, उसे भी कलंकित और श्रापित होना पड़ा है, पर उसने अपने कलंक को छोड़ अपनी चांदनी को संसार में बिखेरा है।

इसलिए संसार उसके कलंक को नही उसके गुणों को देखता है।
जग सूझा एकइ नैनाहाँ । उवा सूक अस नखतन्ह माहाँ ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, कवि संसार को अपनी एक ही आंख से देखते हैं, जो आकाश के नक्षत्र के मध्य में उदित होने वाले उस शुक्र नामक तारे के समान है। जो बहुत चमकीला और गुणी है।


जौं लहि अंबहि डाभ न होई । तौ लहि सुगंध बसाइ न सोई।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, जब तक आम में डाभ (मंजरी, मोजर) नहीं होती है। तब तक उसमें सुगंध (मिठास) नहीं बसती है। अर्थात आम मे जब तक नुकीलापन या कड़वा रस नही होता। तब तक उसमे मिठास नही होता है और न ही उसमे सुगंध आता है।


कीन्ह समुद्र पानि जौं खारा । तौ अति भएउ असूझ अपारा ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, जो समुन्द्र इतना विशाल है, जिसमे अनेक प्रकार के जल जीव निवास करते है। ईश्वर ने उस समुद्र के जल को भी खारा बना दिया है। जिसमें सभी नदियों के जल आकर मिलते हैं, लेकिन समुद्र का एक गुण है की उसके जल में कभी बाढ़ नहीं आती। 


जौं सुमेरु तिरसूल बिनासा | भा कंचनगिरि लाग अकासा ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, जिस सुमेरू पर्वत को शिव जी ने अपने त्रिशूल से नष्ट किया, वह (कंचनगिरि) सोने की पर्वत बनकर आकाश को छूने लगा।


जौं लहि घरी कलंक न परा । काँच होइ नहिं कंचन करा ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, जब तक घरिया मैला नहीं होता या कोयला नहीं जलता है, जब तक सोने को आग के ऊपर तपाया नही जाता है, तब तक कच्ची धातु सोना नहीं होती और ना ही कड़ा होती।


एक नैन जस दरपन औ तेहि निरमल भाउ ।
सब रूपवंत गहि मुख जोवहिं कई चाउ ।।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, मेरी  एक ही आँख है। जिससे मै इस संसार को देखता हूँ। ये आंख दर्पण के समान है, इसका भाव निर्मल है। सब रूपवान लोग बड़े चाव से इनका मुख देखते हैं।


कड़बक का दूसरा खण्ड

kadbak bhavarth (saransh)

मुहमद यहि कबि जोरि सुनावा । सुना जो पेम पीर गा पावा ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, मुहम्मद कवि की इस काव्य रचना को जिसने भी सुना है और प्रेम की पीड़ा को सुना है। उसी ने प्रेम की पीड़ा को समझा है और उसे गा पाया है।


जोरी लाइ रकत कै लेई । गाढ़ी प्रीति नैन जल भेई ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, प्रेम को रक्त कि लेही (गोंद लगाकर) लगाकर जोड़ा गया है। इसकी गहरी प्रीति (प्रेम) को आंखों के आँसुओ से भिगोया गया है। अर्थात प्रेम को पाना आसान नही होता है इसमे पीड़ा भी होती है और आँसु भी होते है।  kadbak bhavarth (saransh)


औ मन जानि कबित अस कीन्हा । मकु यह रहै जगत महँ चीन्हा ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, मन में यह जानकर इस कविता की रचना की गई है, कि मरने के बाद भी इस संसार मे, इस जगत में मेरी यही निशानी बची रह जाएगी। kadbak bhavarth (saransh)


कहाँ सो रतनसेनि अस राजा । कहाँ सुवा असि बुधि उपराजा ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, अब कहाँ है, वह रत्नसेन जो ऐसा राजा था? कहाँ है, वह सुवा जो ऐसे बुद्धि लेकर जन्मा था? kadbak bhavarth (saransh)


कहाँ अलाउद्दीन सुलतानू । कहँ राघौ जेइँ कीन्ह बखानू ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, कहाँ है, वह अलाउद्दीन सुल्तान? कहाँ है, वह राघव चेतन जिसके शान का बखान किया था? kadbak bhavarth (saransh)


कहँ सुरूप पदुमावति रानी । कोइ न रहा जग रही कहानी ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, कहाँ है? वह सुंदरी रानी पद्मावती। यहाँ अब कोई नहीं है, इस संसार मे उनकी कृतियों के रूप में मात्र उनकी कहानियाँ ही रह गई है। kadbak bhavarth (saransh)


धनि सो पुरुख जस कीरति जासू । फूल मरै पै मरे न बासू ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, पुरखों की आवाज उनकी यस उनकी कृतियाँ ही रह जाति है, हम उन्हे उनकी कृतियों से ही जानते है। जैसे फूल झरकर नष्ट हो जाते हैं, पर उसकी सुगंध कभी नहीं नष्ट होती है।


केइँ न जगत जस बेंचा केइँ न लीन्ह जस मोल ।
जो यह पढ़ कहानी हम सँवरै दुइ बोल ।।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत का अंश है। यह पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के कड़बक कविता से लिया गया है। कवि कहते है, किसी ने संसार में अपने यश को नहीं बेचा है। किसी ने अपने यश का मूल नहीं लिया है। जिसने भी इस कहानी को पढ़ा है, उसी ने दो बोल हम सब से बोले हैं।


सारांश

व्याख्या

यह पंक्ति दिंगत भाग 2 के कड़बक पाठ से ली गई है। कड़बक पद्मावत महाकाव्य से संकलित हैं। जिसके कवि मलिक मुहम्मद जायसी जी है। मुहम्मद जायसी ने इस कविता में जो सुनाया है। इसे वही समझा पाया है और गाया है, जिसने प्रेम की पीड़ा को सुना और समझा है। प्रेम को रक्त कि लेई (गोंद) लगाकर जोड़ा गया है, इसकी गहरी प्रीति को आँसुओं से भिगोया गया है। मन में यह जान कर इस कविता की रचना की गई है, कि जगत में मेरी यही निशानी बची रह जाएगी। kadbak bhavarth (saransh)

कवि कहते है, अब कहाँ है, वह रत्नसेन जो ऐसे राजा था? कहाँ है, वह सुआ जो ऐसा बुद्धि लेकर जन्मा था? कहाँ है, वह अलाउद्दीन सुल्तान? कहाँ है, वह राघवचेतन जिस की शान का इतना बखान किया गया है? कहाँ है, वह विश्व सुंदरी रानी पद्मावती? अब कोई नहीं रहा, जग में उनकी कहानियाँ रह गई है। उनकी ध्वनि अब सुनाई नहीं देती है पर उनकी कृतियाँ रह गई हैं । जैसे फूल मर जाते हैं पर उनका सुगंध रह जाता है। किसी ने जगत में अपनी यश को नहीं बेचा है, किसी ने उसे यश का मूल्य नहीं लिया है। जो यह कहानी मैंने पढ़ा है उसी के बारे में सभी से दो बोल बोला है। kadbak bhavarth (saransh)


Quick Links

Chapter Pdf
यह अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही इसे publish किया जाएगा । बीच-बीच में वेबसाइट चेक करते रहें।
मुफ़्त
Online Test
यह अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही इसे publish किया जाएगा । बीच-बीच में वेबसाइट चेक करते रहें।
मुफ़्त
सारांश का पीडीएफ़
यह अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही इसे publish किया जाएगा । बीच-बीच में वेबसाइट चेक करते रहें।
मुफ़्त

हिन्दी 100 मार्क्स सारांश

You may like this

गद्य-8 | सिपाही की माँ (सारांश) – मोहन राकेश | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

“सिपाही की माँ”, “मोहन राकेश” द्वारा लिखी गई यह एकांकी “अंडे के छिलके तथा अन्य…
Continue Reading…

पद्य-12 | हार-जीत (प्रश्न-उत्तर) – अशोक वाजपेयी | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

हार-जीत का प्रश्न-उत्तर पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। Q1. उत्सव कौन और क्यों मना रहे…
Continue Reading…

गद्य-11 | हँसते हुए मेरा अकेलापन (सारांश) – मलयज | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

मलयज जी रानीखेत में लिखते हैं कि, “मिलिट्री की छावनी” के लिए पुरे सीजन इंधन…
Continue Reading…

गद्य-11 | हँसते हुए मेरा अकेलापन Objective Q & A – मलयज | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

मलयज द्वारा रचित हँसते हुए मेरा अकेलापन पाठ का Objective Q & A पढ़ने के…
Continue Reading…

पद्य-13 | गाँव का घर (प्रश्न-उत्तर) – ज्ञानेंद्रपति | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

गाँव का घर का प्रश्न-उत्तर पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। Q1. कवि की स्मृति में…
Continue Reading…
admin

Recent Posts

Bihar Board Class 12 Hindi Chapter 1: बातचीत (दिगंत भाग 2) PDF Download । Important Summary & Questions

परिचय baatchit important questions बिहार बोर्ड कक्षा 12 के हिन्दी विषय में "बातचीत" (दिगंत भाग…

1 day ago

पद्य-13 | गाँव का घर (प्रश्न-उत्तर) – ज्ञानेंद्रपति | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

गाँव का घर का प्रश्न-उत्तर पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। Q1. कवि की स्मृति…

3 years ago

पद्य-12 | हार-जीत (प्रश्न-उत्तर) – अशोक वाजपेयी | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

हार-जीत का प्रश्न-उत्तर पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। Q1. उत्सव कौन और क्यों मना…

3 years ago

पद्य-11 | प्यारे नन्हें बेटे को (प्रश्न-उत्तर) – विनोद कुमार शुक्ल | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

प्यारे नन्हें बेटे को का प्रश्न-उत्तर पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। Q1. 'बिटिया' से…

3 years ago

पद्य-10 | अधिनायक (प्रश्न-उत्तर) – रघुवीर सहाय | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

अधिनायक का प्रश्न-उत्तर पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। Q1. हरचरना कोण है? उसकी क्या पहचान है? उत्तर- हरचरना भारत…

3 years ago

पद्य-9 | जन-जन का चेहरा एक (प्रश्न-उत्तर) – गजानन माधव मुक्तिबोध | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

जन जन का चेहरा एक का प्रश्न-उत्तर पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। Q1. जन जन का चेहरा एक से कवि का क्या तात्पर्य है ?…

3 years ago