tulsidas ke pad bhavarth
tulsidas ke pad bhavarth
आधारित पैटर्न | बिहार बोर्ड, पटना |
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कक्षा | 12 वीं |
संकाय | कला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc) |
विषय | हिन्दी (100 Marks) |
किताब | दिगंत भाग 2 |
प्रकार | भावार्थ (सारांश) |
अध्याय | पद्य-3 | पद – तुलसीदास |
कीमत | नि: शुल्क |
लिखने का माध्यम | हिन्दी |
उपलब्ध | NRB HINDI ऐप पर उपलब्ध |
श्रेय (साभार) | रीतिका |
tulsidas ke pad bhavarth
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग 2 के पद से ली गई है। इसके कवि तुलसीदास जी है। यह विनय पत्रिका से संकलित है। इस पंक्ति में कवि तुलसीदास, माता सीता से विनती करते हैं। वे कहते हैं, जब कभी आपको अच्छा अवसर मिले तो आप मेरी याद भगवान श्रीराम को दिला दीजिए गा, और मेरे कष्टों की करुणा भरी कथा अवश्य सुना दीजिए गा। tulsidas ke pad bhavarth
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग 2
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग 2 के पद से ली गई है। इसके कवि तुलसीदास जी है। यह विनय पत्रिका से संकलित है। इस पंक्ति में कवि तुलसीदास कहते है की, हे माता जब प्रभु की इच्छा यह जानने की हो की, उनका यह दास है कौन? तब आप मेरा नाम और मेरी दशा उन्हे बता दीजिएगा। कृपालु श्री राम के सुनते ही मेरी बिगड़ी बन जाएगी।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्तयाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग 2 के पद से ली गई है। इसके कवि तुलसीदास जी है। यह विनय पत्रिका से संकलित है। इस पंक्ति में कवि तुलसीदास कहते है की, हे जगत की जननी माँ जानकी अब आपके वचन ही मेरी सहायता कर सकते है। मेरी सहायता कीजिए माँ, मैं आपका हमेशा आभारी रहूंगा। ये तुलसीदास सदा आपका गुण गाये गा।
tulsidas ke pad bhavarth
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग 2 के पद से ली गई है। इसके कवि तुलसीदास जी है। यह विनय पत्रिका से संकलित है। इस पंक्ति में कवि तुलसीदास कहते है की, हे प्रभु आज भोर से ही मैं आपके द्वार पर बैठा हूँ, एक भिक्षुक भिखारी के रूप में। हे प्रभु न ही मेरा कोई आश्रय है, न ही मेरा जिद और न ही मैं रिरियाता हूँ। आपकी दया से भोजन का एक निवाला को पाना ही मेरा काम है।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग 2 के पद से ली गई है। इसके कवि तुलसीदास जी है। यह विनय पत्रिका से संकलित है। इस पंक्ति में कवि तुलसीदास कहते है की, हे प्रभु यह कलयुग का समय बहुत बुरा और भयानक है, यह कठिनाइयों से भरा हुआ है, यहाँ सब कुछ अव्यवस्थित है। हे प्रभु मैं बहुत नीच हूँ बहुत गरीब और दुष्ट हूँ, पर मेरी सोच मेरा मन बहुत ऊंचा है। जैसे कोढ़ में खाज बहुत तकलीफ देती है, उसी प्रकार मैं अभी बहुत तकलीफ में हूँ।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग 2 के पद से ली गई है। इसके कवि तुलसीदास जी है। यह विनय पत्रिका से संकलित है। इस पंक्ति में कवि तुलसीदास कहते है की, हे प्रभु मैने अपने इस ह्रदय की पीड़ा को शांत करने के लिए बहुत से संत, साधु और सिद्ध पुरुषों से पूछा है। उन्होंने मुझे कहा कि मेरी इस पीड़ा का अंत आपके नाम से ही मिलेगा, और कहीं भी मेरी इस पीड़ा का अंत नहीं हो सकता है, सिर्फ आपका नाम ही मेरे पीड़ा का अंत कर सकता है।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग 2 के पद से ली गई है। इसके कवि तुलसीदास जी है। यह विनय पत्रिका से संकलित है। इस पंक्ति में कवि तुलसीदास कहते है की, हे कृपा और दयालुता के सागर श्री राम आपके अलावा दीनता और दरिद्रता को कौन दूर कर सकता है। हे दानवीर दशरथ के पुत्र श्री राम आप ही हमारे दुख और हमारे ह्रदय की पीड़ा को दूर कर सकते है। आप ही हमारे सिरताज है।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग 2 के पद से ली गई है। इसके कवि तुलसीदास जी है। यह विनय पत्रिका से संकलित है। इस पंक्ति में कवि तुलसीदास कहते है की, मैं जन्म से ही भूखा हूँ, भिखारी हूँ, गरीब हूँ, आप ही मेरी भूख और मेरी गरीबी का उद्धार कर सकते हैं। मेरी भूख, मेरा पेट आपके नाम और आपकी भक्ति से ही भरेगा। मेरे लिए इससे अच्छा भोजन कोई भी नहीं है। मेरी सुधा आपकी भक्ति से ही शांत होगी हे प्रभु आप मुझे अपनी भक्ति रूपी भोजन का एक निवाला दीजिए। जिससे मैं तृप्त होकर अपनी सुधा को शांत कर सकूं।
व्याख्या
तुलसीदास जी का यह पद विनय पत्रिका से संकलित है। वे इस पद में माता सीता से याचना करते हैं, कि हे जगत जननी माँ सीता, आपको कभी समय मिले तो आप श्री राम को मेरी याद दिला दीजिएगा। हे माता जब प्रभु की इच्छा यह जानने की हो की, उनका यह दास है कौन? तब आप मेरा नाम और मेरी दशा उन्हे बता दीजिएगा। कृपालु श्री राम के सुनते ही मेरी बिगड़ी बन जाएगी। मैं इतना निकम्मा हूँ कि, मैं अपना पेट भरने के लिए श्री राम का नाम लेता हूँ, लेकिन मैं प्रभु की दासी का दास हूँ।
कहिएगा कि मैं जन्म से ही भूखा हूँ और उनकी कृपा का भोजन का एक निवाला चाहता हूँ और कुछ नहीं चाहिए हे दानी दशरथ के पुत्र दीन दुखियों पर कृपा करने वाले मुझ पापी पर भी कृपा करें, जो अपना पेट भरने के लिए आपका नाम लेता है। हे प्रभु आपकी कृपा से ही मेरा काम बन सकता है। आपने इस भक्त को भोजन का एक निवाला देकर इसका पेट भर दीजिए, जो भोर से ही आपके द्वार पर बैठा है। tulsidas ke pad bhavarth
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