किताब-1 | मानव भूगोल के मूल सिद्धांत

अध्याय-1 | मानव भूगोल (प्रकृति एवं विषय क्षेत्र) | कक्षा-12 वीं

अध्याय-1

मानव भूगोल
(प्रकृति एवं विषय क्षेत्र)

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महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ​

मानव भूगोल रेटजेल के अनुसार :- इनके अनुसार मानव भूगोल के दृश्य सर्वत्र वातावरण से संबंधित होते हैं जो स्वयं भौतिक दशाओं का एक योग होता है।
कुमारी सैंपल के अनुसार :- मानव भूगोल अस्थाई पृथ्वी और चंचल मानव के पारंपरिक परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन है।

प्रेडरिक रेटजेल को वर्तमान भूगोल के जन्मदाता कहा जाता हैं।

महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर

उत्तर- मानव भूगोल के विषय वस्तु को मुख्यतः दो भागों में बाँटा गया है :-

(i) भौतिक तथा प्राकृतिक पर्यावरण
(ii) सांस्कृतिक तथा मानव निर्मित पर्यावरण

मानव भूगोल को दो भागों में बाँटने का श्रेय अमेरिकी भूगोलवत्ता फिंच एवं टिवार्था को जाता है।

(i) भौतिक तथा प्राकृतिक पर्यावरण इसके अंतर्गत जलवायु, धरातल, मृदा, खनिज, जल तथा वनस्पति आते हैं ।
(i) संस्कृति तथा मानव निर्मित पर्यावरण इसके अंतर्गत मानव जनसंख्या, मानव बस्तियाँ, मानव व्यवसाय, विभिन्न उद्योग, कृषि, पशुपालन, परिवहन इत्यादि आते हैं।

उत्तर- मानव भूगोल का अध्ययन क्षेत्र बहुत ही व्यापक (बड़ा) है। मानव भूगोल को विज्ञान की भूमि का विज्ञान, अंतर संबंधों का विज्ञान तथा प्रादेशिक अध्ययन का विज्ञान कहा जाता है।

मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र के पांच प्रमुख अंग है:-
i) किसी प्रदेश की जनसंख्या और उसकी क्षमता 
ii) उस प्रदेश की प्राकृतिक संसाधन 
iii) उस प्रदेश का सांस्कृतिक प्रतिरूप
iv) मानव वातावरण का समायोजन का रूप
v) समय के साथ-साथ कलित (काल के अनुसार) विकास ।

उत्तर- मानव भूगोल के मुख्यतः पांच उपक्षेत्र हैं :-
(i) ऐतिहासिक भूगोल
(ii) राजनीतिक भूगोल
(iii) सांस्कृतिक भूगोल
(iv) जनसंख्या भूगोल
(v) आर्थिक भूगोल ।

(i) ऐतिहासिक भूगोल इस क्षेत्र के अंतर्गत मुख्यतः भौगोलिक क्षेत्रों के विकास की आवश्यकताओं का अध्ययन किया जाता है । इससे किसी प्रदेश की वर्तमान स्वरूप को समझने में सहायता मिलती है।
(ii) राजनीतिक भूगोल- इसमें अनेक समूहों के राजनीतिक, प्रशासनिक, स्थानिक प्रशासन एवं सीमा विवादों का अध्ययन किया जाता है।
(iii) सांस्कृतिक भूगोल- इसके अंतर्गत मानव के सांस्कृतिक पहलू जैसे: धर्म, सांस्कृतिक कार्यक्रम, रहन-सहन, भोजन इत्यादि का अध्ययन किया जाता हैं।
(iv) जनसंख्या भूगोल- इसके अंतर्गत मानव भूगोल में जन्म दर, मृत्यु दर, लिंगानुपात इत्यादि का अध्ययन किया जाता हैं।
(v) आर्थिक भूगोल- इसके अंतर्गत उत्पादन, वितरण, विनिमय इत्यादि का अध्ययन किया जाता हैं।

उत्तर- मानव भूगोल में मुख्यतः दो तरह की विचारधाराएं प्रमुख है :-
(i) पुरानी विचारधारा
(ii) नई विचारधारा

(i) पुरानी विचारधारा पुरानी विचारधारा में नियतिवाद और संभावनावाद विचारधारा प्रमुख है। 
(ii) नई विचारधारा नई विचारधारा में मानववादी तथा कल्याण कारक विचारधारा प्रमुख है।

नियतिवाद विचारधारा नियतिवाद में मनुष्य के प्रत्येक क्रियाकलापों को पर्यावरण द्वारा संचालित या नियंत्रित माना जाता है। पर्यावरण के कारण मनुष्य के आचरण जीवन पद्धति निर्णय लेने की क्षमता को निश्चित करते हैं। नियतिवाद विचारधारा में प्रकृति को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसके अंतर्गत मानव की भूमिका निष्क्रिय मानी गई हैं।

संभववाद विचारधारा संभववाद विचारधारा नियति विचारधारा को पूर्णत: नकारा है। संभववाद विचारधारा ने इस बात पर बल दिया है कि मनुष्य प्रकृति के कारकों को चुनने के लिए स्वतंत्र होता है। इस विचार धारा के अंतर्गत समाज के भीतर मानव समूहों के बीच अंतर पाया जाता है। यह विभिन्नताएं पर्यावरण के कारकों के कारण नहीं बल्कि लोगों के मनोवृति मानव मूल्यों या आदर्शों के कारण होता हैं।

कल्याणकारक विचारधारा इस विचार धारा के अंतर्गत निर्धनता, नगरिया झुग्गी झोपड़ियों, विकास में प्रादेशिक असमानता इत्यादि का अध्ययन किया जाता है। इसके अंतर्गत मनुष्य के विभिन्नताओं के कारण का अध्ययन किया जाता हैं।

मानववादी विचारधारा इस विचारधारा के अंतर्गत मानव जागृति के साधन, मानव के सृजनात्मकता, मानव की मनोस्थिति इत्यादि का अध्ययन किया जाता है। यह विचारधारा मुख्यतः मानव पर ही केंद्रित करती हैं।

उत्तर- इस विचारधारा के अंतर्गत मानव भूगोल के सामाजिक तथा राजनीतिक स्वरूप को जानने में सहायता मिलती है। इस विचारधारा के अंतर्गत पर्यावरण के प्रति मानवीय प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता हैं ।

उत्तर- इस विचार धारा के अंतर्गत मनुष्य एक निश्चित सीमा तक ही पर्यावरण को प्रभावित कर सकता है। इस विचारधारा के प्रतिपादक ग्रिफिथ टेलर थे।
इस विचार धारा के अंतर्गत पर्यावरण मानव की बुद्धि एवं कुशलता को प्रभावित करने में एक सीमा तक ही सक्षम होता हैं ।

उत्तर- मानव भूगोल की प्रकृति का उद्देश्य है कि पृथ्वी पर विभिन्न नेताओं के बीच रहने वाले मानव जीवन को समझना । पृथ्वी के भिन्न-भिन्न प्रदेशों में रहने वाले मानव के रंग-रूप, कार्यक्षमता, आजीविका के साधन, रीति-रिवाज, संस्कृति, रहन-सहन आदि में बहुत अंतर मिलता है। यह अंतर भौगोलिक वातावरण के कारण मिलता हैं ।

उत्तर- आदिम मानव समाज और प्रकृति की प्रबल शक्तियों को प्रकृति के आदेशों के अनुसार अपने आप को ढाल लेना पर्यावरणीय निश्चयवाद कहलाता है।

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