Tumul kolahal kalah me Subjective Q & A
Tumul kolahal kalah me Subjective Q & A
आधारित पैटर्न | बिहार बोर्ड, पटना |
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कक्षा | 12 वीं |
संकाय | कला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc) |
विषय | हिन्दी (100 Marks) |
किताब | दिगंत भाग-2 |
प्रकार | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय | पद्य-6 | तुमुल कोलाहल कलह में – जयशंकर प्रसाद |
कीमत | नि: शुल्क |
लिखने का माध्यम | हिन्दी |
उपलब्ध | NRB HINDI App पर उपलब्ध |
श्रेय (साभार) | रीतिका |
उत्तर
जब हम अत्यधिक कोलाहल कलह अशांति और परेशानी में घिरे जाते हैं। उस समय ह्रदय की बात का कार्य है। हमारे मन को शांति और आराम पहुँचाना। जब हमारा दिमाग सोचकर परेशान हो जाता, थक जाता है। उस वक्त जो विचार हमारे दिमाग को शांति देती है। वह अच्छे विचार ही ह्रदय की बात का प्रतीक है।
उत्तर
उषा का अर्थ होता है। भोर की पहली प्रकाश कविता में उषा की भूमिका है। मन को घोर अंधकार से ज्योति रेखा की तरह आराम और आनंद की प्रकाश की ओर ले जाना। Tumul kolahal kalah me Subjective Q & A
उत्तर
चातकी मरुस्थल में रहने वाली एक पक्षी है। जो केवल स्वाति नक्षत्र में होने वाली वर्षा जल को ही ग्रहण करती है और उसी एक बूंद के लिए तरसती है। Tumul kolahal kalah me Subjective Q & A
उत्तर
बरसात को सरस कहने का अभिप्राय यह है कि मरुस्थल की जो धरती है। वह सूर्य के ताप से इतनी गर्म हो जाती है कि ज्वाला की तरह धधकती है। वहाँ जो जीव-जंतु और घटियाँ है। उसे जीवन, वर्षा के कारण ही मिलता है। बरसात होने से वहाँ की धधकती धरती को आराम मिलता है, धरती हरी भरी हो जाती है और चातकी भी वर्षा की बूँद को पाकर खुश हो जाती है। इस प्रकार सब कुछ अच्छा और सरस लगता है।
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के “तुमुल कोलाहल कलह में” कविता से ली गई है। यह कविता महाकाव्य कामायनी का अंश है। इसके कवि जयशंकर प्रसाद जी हैं। इन पंक्तियों में कवि कहते हैं। पवन जब ऊंची चारदीवारी के में बंद होकर रुक जाता है। जलकर, झुलस कर जब मनुष्य जीवन अपने परिस्थितियों के आगे झुक जाता है। रे मन मैं इस झूलसते विश्व में, इस निराशा रूपी वन में एक वसंत ऋतु की रात तरह हूँ। जिसमें उम्मीद में फूल खिलते हैं।
उत्तर
सजल जलजात का अर्थ है, जल में खिला हुआ कमल। ( इसमें श्रद्धा अपना परिचय देते हुए कहती है कि जिस प्रकार कीचड़ में कमल खिलता है और वह अपनी खुशबू को भी बिखेरती है। उसी प्रकार श्रद्धा भी घोर निराशा के अश्रु सर में, जल में खिलने वाली कमल की तरह है। ) Tumul kolahal kalah me Subjective Q & A
उत्तर
‘तुमुल कोलाहल कलह में’ कविता कामायनी से लिया गया है। जिसकी नायिका श्रद्धा है जो स्वयं कामायनी है। वह हमारे मन की चंचलता को स्थिर करती है और मन की व्याकुलता को शांती प्रदान करती है। कठिनाइयों में लड़ना सिखाती है और एक विनम्र स्त्री का परिचय देती है।
उत्तर
कविता में विषाद और व्यथा का उल्लेख हमारे जीवन में आने वाले कठिनाइयों, बाधाये, दुख:, तकलीफ और हमारे रास्ते में आने वाली अड़चने जिससे हमारा मन अशांत हो जाता है, डर या भय से ग्रसित हो जाता है इसी कारण से है। Tumul kolahal kalah me Subjective Q & A
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