Bihar Board Class 12 Hindi Chapter 13: शिक्षा PDF Download-और शिक्षा के महत्व पर विस्तृत जानकारी
परिचय shiksha important questions बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिन्दी गद्य का खंड का अध्याय 13…
putra viyog bhavarth
putra viyog bhavarth
आधारित पैटर्न | बिहार बोर्ड, पटना |
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कक्षा | 12 वीं |
संकाय | कला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc) |
विषय | हिन्दी (100 Marks) |
किताब | दिगंत भाग 2 |
प्रकार | भावार्थ (सारांश) |
अध्याय | पद्य-7 | पुत्र वियोग – सुभद्रा कुमारी चौहान |
कीमत | नि: शुल्क |
लिखने का माध्यम | हिन्दी |
उपलब्ध | NRB HINDI ऐप पर उपलब्ध |
श्रेय (साभार) | रीतिका |
putra viyog bhavarth
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है। यह मुकुल काव्य से संकलित है। इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, आज चारों दिशाओ मे, पूरे विश्व मे, खुशी है, उल्लास है। लेकिन मेरा खोया हुआ खिलौना, मेरा बेटा अभी तक मेरे पास नहीं आया है।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है। यह मुकुल काव्य से संकलित है। इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, मेरे बेटे को ठंड नहीं लग जाए इस डर से मैंने कभी उसे आपने गोद से नहीं उतार। उसने जब भी मुझे माँ कह के पुकार, मैं उसी समय अपने सभी काम को छोड़ उसके पास गई हूँ।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है। यह मुकुल काव्य से संकलित है। इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, जिस बेटे को थपकी दे दे कर सुलाया, जिसके लिए लोरियाँ गाई, जिस बेटे की थोरी सी देख मैं रात भर सो नहीं पाई।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है। यह मुकुल काव्य से संकलित है। इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, जिस बेटे के लिए अपनी सभी खुशियों को भूल गई। एक पत्थर को भगवान मानकर नारियल, दूध, बताशे और भी बहुत से चढ़ावा चढ़ाया है। बहुत से देवी देवताओ के आगे अपना शीश नवाया है।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है। यह मुकुल काव्य से संकलित है। इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, किसी ने भी मेरी सहायता नहीं की मेरा बेटा मुझसे छिन गया। मैं कुछ नहीं कर पाई विवश ही बैठी रही और मेरा बच्चा मुझसे दूर चला गया।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है। यह मुकुल काव्य से संकलित है। इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, मेरा हृदय तड़प रहा है, मुझको एक पल की भी शांति नहीं है। मुझे कुछ भी नहीं भाता मैं अपने खोया हुआ धन, अपना बच्चे को नहीं पा सकती हूँ।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है। यह मुकुल काव्य से संकलित है। इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, मेरा मन नहीं मानता है। मुझे मेरा जीवन सुना और नीरस लगता है, मेरा मन अपने बच्चे के लिए रोता ही रहता है। putra viyog bhavarth
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है। यह मुकुल काव्य से संकलित है। इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, मेरा मन करता है, एक बार यदि मैं अपने बेटे को गले से लगा पाती। तो उसको प्यार से उसके सर को सहलाकर उसको समझाती।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है। यह मुकुल काव्य से संकलित है। इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, मेरे बेटे अब अपनी माँ को छोड़कर नहीं जाना। एक माँ के लिए बहुत कठिन होता है अपने बच्चे को खोकर अपने मन को समझाना।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है यह मुकुल काव्य से संकलित है इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, तुम्हारे भाई-बहन तुम्हें भूल सकते हैं, तुम्हारे पिता तुम्हें भूला सकते हैं लेकिन जो माँ तुम्हें नव महीने अपने गर्भ में पाली है, जो रात दिन तुम्हारे साथ रहती है, वह अपने मन को कैसे समझाए कि उसका बेटा मर चुका है। putra viyog bhavarth
व्याख्या
पुत्र वियोग कविता मुकुल काव्य से संकलित है। जिसमें कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान एक माँ की पीड़ा को बताते हुए कहती हैं कि, जिसे हमेशा अपने सीने से लगा कर रखा है। जिसकी चेहरे पर जरा भी उदासी को देख मैं रात-रात भर सोती नहीं थी। जिसके लिए मैं ना जाने कितने सारे देवी-देवताओं को प्रसाद चढ़ाया है, उसके आगे अपना शीश नवाया है।
वह मुझसे दूर हो गया मैं उसे मैंने उसे खो दिया, मैं अपने मन को कैसे मनाऊ। उसके याद में मेरा हृदय तड़प रहा है। मुझे एक पल को भी शांति नहीं है। मेरा बेटा एक बार मेरे पास आ जाए तो, मैं उसे प्यार से समझाती कि उससे, उसके भाई-बहन भूल सकते हैं, उसे उसके पिता भूला सकते हैं लेकिन जो माँ उसे 9 महीने अपने गर्भ में पाली है, जो रात दिन उसके साथ रहती है वह अपने मन को कैसे समझाए कि उसका बेटा मर चुका है। वह कभी लौटकर नहीं आएगा बहुत कठिन है उसको समझाना। putra viyog bhavarth
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