kadbak bhavarth (saransh)

पद्य-1 | कड़बक भावार्थ (सारांश) – मलिक मुहम्मद जायसी | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

कड़बक पद्मावत महाकाव्य से संकलित हैं। जिसके कवि मलिक मुहम्मद जायसी जी है। मुहम्मद जायसी ने इस कविता में जो सुनाया है। इसे वही समझा पाया है और गाया है, जिसने प्रेम की पीड़ा को सुना और समझा है। प्रेम को रक्त कि लेई (गोंद) लगाकर जोड़ा गया है, इसकी गहरी प्रीति को आँसुओं से भिगोया गया है। मन में यह जान कर इस कविता की रचना की गई है, कि जगत में मेरी यही निशानी बची रह जाएगी।