Shiksha Subjective Q and A
आधारित पैटर्न | बिहार बोर्ड, पटना |
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कक्षा | 12 वीं |
संकाय | कला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc) |
विषय | हिन्दी (100 Marks) |
किताब | दिगंत भाग-2 |
प्रकार | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय | गद्य-13 | शिक्षा – जे० कृष्णमूर्ति |
कीमत | नि: शुल्क |
लिखने का माध्यम | हिन्दी |
उपलब्ध | NRB HINDI App पर उपलब्ध |
श्रेय (साभार) | रीतिका |
उत्तर
शिक्षा का अर्थ है- जीवन की सच्चाई की खोज करना शिक्षा का असली काम है की वो हमारे पूरे जीवन को समझने में हमारी मदद करे और एक ऐसा माहौल बनाने के लिए प्रेरित करे जहाँ हर कोई स्वतंत्र हो । शिक्षा का काम सिर्फ नौकरी और व्यवसायों के जरिए पैसा कमाना नहीं है। Shiksha Subjective Q and A
उत्तर
जीवन का अर्थ अपने लिए सत्य की खोज और यह तभी संभव है । जब स्वतंत्रता हो, जब हमारे अंदर मे सतत क्रांति की ज्वाला प्रकाशमन हो।
उत्तर
‘बचपन से ही आपका ऐसे वातावरण मे रहना अत्यंत आवश्यक है जो स्वतंत्रतापूर्ण हो’ क्योंकि ऐसा वातावरण भयमुक्त होता है। वैसे वैसे भयभीत होते जाते है। जहाँ भय होता है, वहाँ मेधा नही होता है। मेधावी बनने के लिए बचपन से ही स्वतंत्र वातावरण मे रहना आवश्यक है। Shiksha Subjective Q and A
उत्तर
यह कथन बिल्कुल सत्य है की जहाँ भय वहाँ मेधा नही हो सकती क्योंकि भय के कारण इंसान किसी भी काम में अपना सह प्रतिशत नहीं दे पाता है। उसके मन में असफलता या हानि का डर बैठ जाता है। ज्यादातर इंसान अपना जीवन भय में गुजारते हैं। हमें नौकरी छूटने का, समाज का, परंपराओं का भय रहता है। इस भय की वजह से हम अपने जीवन के असली मतलब को नहीं समझ पाते हैं। इसी कारण मेधा का विकास नहीं हो पाता है।
उत्तर
जीवन में विद्रोह का महत्वपूर्ण स्थान है। मनुष्य इस जीवन की गहराई, इसकी सुंदरता और इसके ऐश्वर्या को तभी महसूस कर पायेगा। जब वो प्रत्येक वस्तु के खिलाफ विद्रोह करेगा। जब हम संगठित धर्म, प्राचीन परंपराओं तथा इस सड़े हुए समाज के खिलाफ विद्रोह करेंगे तभी एक मानव की भांति सत्य की खोज कर पाएंगे। Shiksha Subjective Q and A
उत्तर
उपयुक्त पंक्ति जे० कृष्णमूर्ति द्वारा लिखित शिक्षा पाठ से ली गई है। लेखक इन पंक्तियों के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि हर कोई अपने सुख के लिए दूसरे का विरोध कर रहा है। यह विद्रोह भी भिन्न-भिन्न चीजों के लिए है जैसे किसी सुरक्षित स्थान पर पहुँचने के लिए जिससे हमारे सभी भय दूर हो जाए अथवा प्रतिष्ठा, सम्मान, शक्ति तथा आराम पाने के लिए। इन सबके लिए मनुष्य लगातार संघर्ष कर रहा है।
उत्तर
समाज में चारों ओर भय फैला हुआ है। लोग एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या-द्वेष से भरे हुए हैं। विश्व के सभी देश पतन की ओर अग्रसर हैं। इसे रोकना मानव समाज के लिए चुनौती है। हमें स्वतंत्रतापूर्ण वातावरण तैयार करना होगा, जिसमें व्यक्ति अपने लिए सत्य की खोज कर सके तथा मेधावी बन सके। सत्य की खोज वही कर सकते हैं। जो निरंतर विद्रोह की अवस्था में हो। स्वतंत्रता पूर्वक जीवन जिएंगे तो निसंदेह ही नूतन विश्व का निर्माण होगा।
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियाँ जे० कृष्णमूर्ति के लेख ‘शिक्षा’ से उद्धृत अंश है। लेखक का कथन है कि प्रेम, क्रांति और सीखना पृथक क्रियाएँ नहीं हैं। लेखक इसका कारण बताते हैं कि महत्वाकांक्षा को पूरा करने के क्रम में क्रांति, सीखना, प्रेम सभी क्रियाएँ हैं। समाज को अराजक स्थिति से निकालने के लिए समाज में क्रांति की आवश्यकता है। तभी सुव्यवस्थित समाज का निर्माण हो सकेगा। सचमुच अराजक स्थिति हमारे लिए एक चुनौती है।
इस ज्वलंत समस्या का समाधान क्रांति द्वारा ही संभव है। इस दौरान हम जो भी करते हैं वह वास्तव में अपने पूरे जीवन से सीखते हैं। तब हमारे लिए न कोई गुरु रह जाता है न मार्गदर्शक। हर वस्तु हमें एक नयी सीख दे जाती है। तब हमारा जीवन स्वयं गुरु हो जाता है और हम सीखते जाते हैं। जिस किसी वस्तु को सीखने के क्रम में गहरी दिलचस्पी रखते हैं उसके संबंध में हम प्रेम से खोज करते हैं। उस समय हमारा संपूर्ण मन, संपूर्ण सत्ता उसी में रमी रहती है। हमारी इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने के क्रम में क्रांति, सीखना, प्रेम सब साथ-साथ चलता है।
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