Pad bhavarth (saransh)
Pad bhavarth (saransh)
आधारित पैटर्न | बिहार बोर्ड, पटना |
---|---|
कक्षा | 12 वीं |
संकाय | कला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc) |
विषय | हिन्दी (100 Marks) |
किताब | दिगंत भाग 2 |
प्रकार | भावार्थ (सारांश) |
अध्याय | पद्य-2 | पद – सूरदास |
कीमत | नि: शुल्क |
लिखने का माध्यम | हिन्दी |
उपलब्ध | NRB HINDI ऐप पर उपलब्ध |
श्रेय (साभार) | रीतिका |
Pad bhavarth (saransh)
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के सूरदास के पद कविता से लिया गया है। यह सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। इस पंक्ति कवि कहते की, जागिए, ब्रज के राजकुमार, श्री कृष्ण भोर हो गई है। कमल के फूल भी खिल गए हैं। Pad bhavarth (saransh)
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के सूरदास के पद कविता से लिया गया है। यह सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। इस पंक्ति कवि कहते की, कुमुद के फूलों ने अपनी पंखुड़ियों को संकुचित (समेट) कर लिया है और भौंरे लताओं में छिप गए हैं।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के सूरदास के पद कविता से लिया गया है। यह सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। इस पंक्ति कवि कहते की, मुर्गा और पक्षियों की कोलाहल यानि उनकी आवाज सुनाई दे रही है, और वन के पेड़-पौधे भी आपको आवाज दे रहे हैं, आपको बुला रहे हैं।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के सूरदास के पद कविता से लिया गया है। यह सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। इस पंक्ति कवि कहते की, गौशाला में गाय भी आवाज दे रही हैं और बछड़े जो है दूध पिलाने के लिए उनकी ओर दौड़ रहे है। Pad bhavarth (saransh)
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के सूरदास के पद कविता से लिया गया है। यह सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। इस पंक्ति कवि कहते की, चंद्रमा का प्रकाश हटने लगा है और सूर्य का प्रकाश चारों दिशाओं में फैलने लगा है। सभी नर-नारी के साथ सूरदास भी भजन गा रहे हैं। हे कृष्ण अब उठ जाइए अब तो कमल भी पूरी तरह खिल गया है। Pad bhavarth (saransh)
Pad bhavarth (saransh)
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के सूरदास के पद कविता से लिया गया है। यह सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। इस पंक्ति कवि कहते की, भगवान श्री कृष्ण नंद बाबा की गोद में बैठे हुए भोजन करते है। Pad bhavarth (saransh)
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के सूरदास के पद कविता से लिया गया है। यह सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। इस पंक्ति कवि कहते की, वह कुछ खा रहे हैं और कुछ धरती पर गिरा रहे हैं माता यशोदा प्रेम पूर्वक उनके मुख को देख रही हैं। Pad bhavarth (saransh)
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के सूरदास के पद कविता से लिया गया है। यह सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। इस पंक्ति कवि कहते की, बेसन से बने बड़ी-बड़ा और भी बहुत से विभिन्न प्रकार के व्यंजन आंगन में रखा हुए हैं। Pad bhavarth (saransh)
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के सूरदास के पद कविता से लिया गया है। यह सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। इस पंक्ति कवि कहते की, उनकी रूचि दोनी में रखे दही और माखन में अधिक है। वे अपने हाथों से उठा कर खाते हैं और कुछ छोड़ देते हैं। Pad bhavarth (saransh)
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के सूरदास के पद कविता से लिया गया है। यह सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। इस पंक्ति कवि कहते की, बालक श्री कृष्ण अपने हाथ से मिश्री मिला हुआ दही और माखन को अपने मुख में डालते हैं। उनकी यह छवि धन्य है। Pad bhavarth (saransh)
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के सूरदास के पद कविता से लिया गया है। यह सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। इस पंक्ति कवि कहते की, बाल श्री कृष्ण स्वयं भी खा रहे हैं और नंद बाबा को भी खिला रहे हैं। इस दृश्य का वर्णन नहीं किया जा सकता, इस दृश्य में बालकृष्ण का निश्चल प्रेम और उनके पिता नंद बाबा का आनंद है। जिसका वर्णन शब्दों में नहीं है। Pad bhavarth (saransh)
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के सूरदास के पद कविता से लिया गया है। यह सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। इस पंक्ति कवि कहते की, इस समय जो खुशी नंद बाबा और माता यशोदा को हो रही है वो खुशी तीनो लोक में कहीं भी नहीं है। भोजन कराने के बाद नंद बाबा कुल्ला करते हैं कवि सूरदास बालक श्री कृष्ण का जूठा मानते हैं जिससे पाकर वे स्वयं को धन्य समझते हैं। Pad bhavarth (saransh)
व्याख्या
यह पद सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। कवि इस पहले पद खण्ड में माता यशोदा द्वारा सोये हुए बाल श्री कृष्ण को उठाए जाने का वर्णन है। माता यशोदा कृष्ण से कहती हैं, जागिए ब्रजराज कुँवर अब कमल के फूल खिल गए हैं। पक्षी तथा पेड़-पौधे आपको बुला रहे है। गाय आपको आवाज दे रही हैं और अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए दौर रही हैं। अंधेरा छठ रहा है और सूर्य का प्रकाश चारों ओर छा रहा है।
दूसरे पद में कृष्ण के भोजन करने का वर्णन है। कवि कहते हैं बालक कृष्ण अपने पिता नंद बाबा के गोद मे बैठ भोजन कर रहे हैं, कुछ खा रहे हैं और कुछ धरा पर गिरा रहे हैं। उनके सामने अनेक व्यंजन रखे हैं लेकिन उनका मन दही और माखन खाने को है और वह अपने हाथों से माखन को अपने मुख में डालते हैं। इस समय जो खुशी नंद बाबा और माता यशोदा को हो रही है वो खुशी तीनो लोक में कहीं भी नहीं है। कवि श्री कृष्ण का झूठा मानते हैं, जिसे पाकर वह धन्य समझेंगे। Pad Bhavarth (Saransh)
You may like this
Introduction kadbak important questions बिहार बोर्ड कक्षा 12 के हिंदी पाठ्यक्रम में कड़बक (Chapter 1)…
bihar board class 10th model papers 2025 बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB), जो भारत के…
Bihar Board Class 12th Model Papers 2025 बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB), जो भारत के…
Indian Civilization and Culture vvi questions Indian Civilization and Culture vvi questions Indian Civilization and…
Introduction kadbak important questions बिहार बोर्ड कक्षा 12 के हिंदी पाठ्यक्रम में कड़बक (Chapter 1)…
परिचय haste hue mera akelapan VVI Questions हँसते हुए मेरा अकेलापन बिहार बोर्ड कक्षा 12…
परिचय shiksha important questions बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिन्दी गद्य का खंड का अध्याय 13…