jan jan ka chehra ek arth

पद्य-9 | जन-जन का चेहरा एक भावार्थ (सारांश) – गजानन माधव मुक्तिबोध | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

“जन-जन का चेहरा एक” कविता कवि “गजानन माधव मुक्तिबोध जी” द्वारा लिखी गई है। कवि ने इस कविता मे आंतरिक एकता को दिखाते हुए जनता के संघर्षकारी संकल्प मे प्रेरणा और उत्साह का संचार करते है। इन पंक्तियों कवि कहते है की, चाहे किसी देश का हो चाहे किसी प्रांत का हो सभी लोगों का चेहरा एक है। सभी लोग एक समान है।