Adhinayk Subjective Question
आधारित पैटर्न | बिहार बोर्ड, पटना |
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कक्षा | 12 वीं |
संकाय | कला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc) |
विषय | हिन्दी (100 Marks) |
किताब | दिगंत भाग-2 |
प्रकार | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय | पद्य-10 | अधिनायक – रघुवीर सहाय |
कीमत | नि: शुल्क |
लिखने का माध्यम | हिन्दी |
उपलब्ध | NRB HINDI App पर उपलब्ध |
श्रेय (साभार) | रीतिका |
हरचरना भारत की जनता को कहा गया है ।
पहचान:- फटा पुराना कपड़ा पहना हुआ व्यक्ति, शासकों के अनुसार काम करने वाले व्यक्ति ।
कवि ने हरचरना कहकर भारत की जनता को दिखाया है। हरचरना किसी का नाम नहीं है बल्कि यह तो गरीब, दुखी और शोषित जनता का प्रतीक है। इसलिए कवि ने कविता में हरचरना को रखा है, हरिचरण को नहीं।
अधिनायक देश के शासक को कहा गया है। जो अपना जयकारा जनता से लगवाते हैं।
पहचान:- राजसी वस्त्र को पहने हुए हैं।, वह अपना जयकारा लगवाता है। और सिंहासन पर बैठ सबसे अपना काम करवाता है।
‘जय-जय करने’ का अर्थ है। अपनी प्रशंसा करवाना, अपनी छवि को सभी जगह फैलाना और स्वयं को महान दिखाना । Adhinayk Subjective Question
यहाँ ‘बेमन’ का अर्थ है, बिना मन के। अर्थात मन नहीं है फिर भी उसका गुणगान करना है। जनता डर के कारण शासक का गुणगान करती है। मन होते हुए भी उनके विरुद्ध नहीं जा सकते हैं।
हरचरना अधिनायक का गुण इसलिए गाता है क्योंकि अधिनायक देश का शासक है। वह बहुत बलशाली और महाबली है । हरचरना के डर का कारण है कि वह अधिनायक की तरह बलशाली नहीं है। वह कमजोर है और अपने सभी आवश्यकता के लिए अधिनायक पर निर्भर है। वह डरता है कि उसे कोई नुकसान ना हो जाए।
‘बाजा बजाने’ का अर्थ है। किसी की प्रशंसा करना या गुणगान करना। Adhinayk Subjective Question
‘कौन-कौन है वह जन गण मन अधिनायक वह महाबली’ – कवि यहाँ देश के शासकों की पहचान कराना चाहते हैं। जिससे जनता डरती है। वह बहुत ताकतवर है।
‘कौन-कौन’ में पूनरुक्ती है, कवि ने यह इसलिए किया है क्योंकि देश के जो शासक हैं, वह एक नहीं, एक से अधिक हैं और वे सभी मिलकर जनता का शोषण कर रहे हैं।
भारत के राष्ट्रगान में ‘जन-गण-मन-अधिनायक जय हे, से इस कविता का संबंध है कि इस कविता में ‘अधिनायक’ शब्द का प्रयोग व्यंग्यात्मक रूप से किया गया है। इसमें इसका प्रयोग शोषण कर रहे नेताओं के लिए किया गया है। जबकि राष्ट्रगान में इसका प्रयोग देश को आगे ले जाने वाले और आजादी दिलाने वाले नेताओं के लिए किया गया था। Adhinayk Subjective Question
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प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के अधिनायक कविता से ली गई है। यह एक व्यंग कविता है। यह कविता कवि रघुवीर सहाय के संग्रह आत्महत्या के विरुद्ध से ली गई है। इन पंक्तियों में कवि कहते हैं की, पूरब-पश्चिम अर्थात सभी दिशाओ से, राष्ट्रीय त्योहारों पर गरीब जनता नंगे पाॅवो आती है। उन्हे देखकर ऐसा लगता है, जैसे वे नरकंकाल हो। सिंहासन पर बैठाकर उनके (गरीब जनता के) तमगे (मैडल) लगवाने वाला वह कौन है। Adhinayk Subjective Question
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