Subjective Q & A

पद्य-9 | जन-जन का चेहरा एक (प्रश्न-उत्तर) – गजानन माधव मुक्तिबोध | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

विवरण

Jan jan ka chehara ek Subjective Question

आधारित पैटर्नबिहार बोर्ड, पटना
कक्षा12 वीं
संकायकला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc)
विषयहिन्दी (100 Marks)
किताबदिगंत भाग-2
प्रकारप्रश्न-उत्तर
अध्यायपद्य-9 | जन-जन का चेहरा एक – गजानन माधव मुक्तिबोध
कीमतनि: शुल्क
लिखने का माध्यमहिन्दी
उपलब्धNRB HINDI App पर उपलब्ध
श्रेय (साभार)रीतिका
पद्य-9 | जन-जन का चेहरा एक (प्रश्न-उत्तर) – गजानन माधव मुक्तिबोध | कक्षा-12 वीं
जन जन का चेहरा एक से कवि का क्या तात्पर्य है ?

जन जन का चेहरा एक से कवि का तात्पर्य उन लोगों से है, जो अलग-अलग देशों में रहने के बावजूद भी एक साथ मिलकर शोषण कर्ताओं के विरुद्ध आवाज उठाते हैं। जिसका एक ही लक्ष्य है शांति और बंधुत्व के साथ न्याय। कवि ने इसमें जनता की एकता और उनकी ताकत को दिखाया है।


बँधी हुई मुट्ठियों का क्या लक्ष्य है ?

‘बँधी हुई मुट्ठिया’ जनता की ताकत और एकता का प्रतीक है। जिसका लक्ष्य है, शोषण कर्ताओ के विरुद्ध आवाज उठाना और न्याय को कायम रखना। बँधी हुई मुट्ठी की ताकत इतनी है कि जनता के शोषण कर्ताओ को कभी भी सत्ता से हटा सकती है और उनके लिए भयानक और विकराल रूप भी धारण कर सकती है। Jan jan ka chehara ek Subjective Question


कवि ने सितारे को भयानक क्यों कहा है? सितारे का इशारा किस ओर है?

कवि ने सितारे को भयानक इसलिए कहा है क्योंकि सितारे मे जितनी चमक होती है, वह उतना ही विकराल और भयानक होता है। समय आने पर वह लाल जलते हुए ज्वाला के समान होता है। सितारे का इशारा संघर्षशील जनता की ओर

है जो शोषण कर्ताओं के लिए काल बन सकती है एक भयानक और विकराल रूप ले सकती है।
नदियों की वेदना का क्या कारण है ?

नदियों की वेदना का कारण मनुष्य के द्वारा किए जा रहे पाप, अत्याचार और अधर्म है। जिसके कारण माँ की तरह सबको जीवन देने वाली नदी भी विनाश का कारण बनती है। Jan jan ka chehara ek Subjective Question


अर्थ स्पष्ट करें –
(क) आशामयी लाल लाल किरणों से अंधकार
चीरता सा मित्र का स्वर्ग एक ;
जन जन का मित्र एक

प्रस्तुत पंक्तिया दिगंत भाग-2 के “जन-जन का चेहरा एक” कविता से ली गई है। इसके कवि “गजानन माधव मुक्तिबोध जी” है। कवि ने इस कविता मे आंतरिक एकता को दिखाते हुए जनता के संघर्षकारी संकल्प मे प्रेरणा और उत्साह का संचार करते है। इन पंक्तियों कवि कहते है की, इन अंधकारों की चीरने वाले आशा की लाल-लाल किरणे है। जब ये अंधकार खत्म होगा तो सभी मित्रों का सभी लोगों का स्वर्ग एक होगा। सभी लोगो के मित्र एक होंगे।


(ख) एशिया के, यूरोप के, अमरीका के
भिन्न भिन्न वास स्थान ;
भौगोलिक, ऐतिहासिक बंधनों के बावजूद ,
सभी ओर हिंदुस्तान, सभी ओर हिंदुस्तान

प्रस्तुत पंक्तिया दिगंत भाग-2 के “जन-जन का चेहरा एक” कविता से ली गई है। इसके कवि “गजानन माधव मुक्तिबोध जी” है। कवि ने इस कविता मे आंतरिक एकता को दिखाते हुए जनता के संघर्षकारी संकल्प मे प्रेरणा और उत्साह का संचार करते है। इन पंक्तियों कवि कहते है की, एशिया, यूरोप, अमरीका भिन्न-भिन्न निवास स्थान है जहाँ लोग रहते है। भौगोलिक, ऐतिहासिक बहुत से बंधन है इन बंधनों के बावजूद भी सभी ओर हिंदुस्तान के लोग रहते है सभी ओर हिन्दुस्तानी है।


दावन दुरात्मा से क्या अभिप्राय ?

जो लोगों का शोषण करते हैं। उन्हें कष्ट पहुंचाते हैं और उनके हक को छीनते हैं। ऐसे लोगों को ही दानव दुरात्मा कहा गया है।  Jan jan ka chehara ek Subjective Question


ज्वाला कहाँ से उठती है ? कवि ने इसे अतिक्रुद्ध क्यों कहा है ?

ज्वाला जनता के हृदय से उठती है। कवि ने इस अतिक्रुद्द इसलिए कहा है क्योंकि शोषित और पीड़ित जनता के मन में जो ज्वाला है। वो बहुत ही प्रलयंकारी है। वह अपना धैर्य खो चुकी है। अपना हक पाने के लिए जनता एक होकर शोषण करने वालों के खिलाफ अपनी आवाज उठा रही है और क्रांति कर रही है। 


समूची दुनिया में जन जन का युद्ध क्यों चल रहा है ?

जन जन का युद्ध समूची दुनिया में इसलिए चल रहा है क्योंकि सारी दुनिया इन शोषण करने वालों से परेशान है। शोषण कर्ता सभी जगह है, सभी देशों में है इसलिए सभी देशों के लोगों की वेदना और संघर्ष एक सी है । Jan jan ka chehara ek Subjective Question


कविता का केंद्रीय विषय क्या है ?

कविता मे शोषण कर्ताओ के विरुद्ध संघर्ष कर रही जनता के बारे में बताया गया है। सभी देश में शोषण करने वाले हैं, जो पीड़ित और कमजोर जनता को दबाए जा रहे हैं। अब जनता एकता के बल को समझ गई है, जग गई है। एक होकर जनता इन शोषण कर्ताओं के खिलाफ अपनी ताकत और क्रोध को दिखा रही है। जिसका एक ही लक्ष्य है, अपने अधिकारों को प्राप्त करना।


प्यार का इशारा और क्रोध का दुधारा से क्या तात्पर्य है ?

प्यार का इशारा और क्रोध का दूध धारा से तात्पर्य है कि जो जनता प्यार करती है, जो सब कुछ शांति और संयम से करती है। वह जब क्रोध में आती है तो उसकी धारा बदल जाती है। वह शोषण करने वालों पर तलवार की धार की तरह होती है। वह किसी से नहीं डरती है। Jan jan ka chehara ek Subjective Question


पृथ्वी के प्रसार को किन लोगों ने अपनी सेनाओं से गिरफ्तार कर रखा है ?

जनता का शोषण करने वाले लोगों ने पृथ्वी के प्रसार को अपनी सेनाओं से गिरफ्तार कर रखा है। इसमें समाज के उच्च वर्ग के लोग जैसे नेता और पूंजीपति आदि आते हैं। Jan jan ka chehara ek Subjective Question


कविता की पंक्ति पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करते हुए भावार्थ लिखिए ।

इस कविता का भावार्थ पढ़ने के लिए यहा क्लिक करे। 


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