विवरण
Chappy Subjective Question
आधारित पैटर्न | बिहार बोर्ड, पटना |
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कक्षा | 12 वीं |
संकाय | कला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc) |
विषय | हिन्दी (100 Marks) |
किताब | दिगंत भाग-2 |
प्रकार | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय | पद्य-4 | छप्पय – नाभादास |
कीमत | नि: शुल्क |
लिखने का माध्यम | हिन्दी |
उपलब्ध | NRB HINDI App पर उपलब्ध |
श्रेय (साभार) | रीतिका |
नाभादास ने छप्पय मे काबीर की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ? उनकी क्रम से सूची बनाइए ।
उत्तर
नाभादास ने छप्पय में कबीर की निम्न विशेषताओं का उल्लेख किया है। कबीर जी भक्ति को धर्म मानते हैं और भक्ति से विमुख सबको अधर्म कहते हैं। कबीर जी ने दिखावे की भक्ति को तुच्छ कहा है। कबीर जी सभी को एक मानते हैं, किसी भी तरह से किसी के साथ पक्षपात या भेद-भा
मुख देखी नाहीं भनी का क्या अर्थ है ? कबीर पर यह कैसे लागू होता है ?
उत्तर
मुख देखी नाहीं भनी का अर्थ है मुख देखकर नहीं बोलना, कबीर पर यह लागू होता है क्योंकि कबीर ने कभी मुख देखी बात नहीं कि है। उन्होंने कभी जाति-धर्म को लेकर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया है। कवि ने कभी पक्षपात नहीं किया है।
सूर के काव्य की किन विशेषताओं का उल्लेख कवि ने किया है ?
उत्तर
सूर के काव्य की विशेषताओं का उल्लेख कवि ने किया है। सूर के जो काव्य है वो चमत्कार और अनुप्रास से भरे होते हैं। इनकी भाषा तुकधारी होती है। सूर जो है वो कृष्ण भक्त हैं और कृष्ण की जितनी भी लीलाये हैं, उसे उन्हें अपने काव्य में दर्शाया है। कृष्ण के जन्म, कर्म, लीला, गुण और रूप आदि को ही सुर अपने कविताओं में लिखते हैं। कवि नाभादास के अनुसार जो भी सूर के काव्य को सुनता है, उनकी बुद्धि विमल हो जाती है। Chappy Subjective Question
अर्थ स्पष्ट करें –
(क) सूर कविता सुनि कौन कवि, जो नहिं शिरचालन करै ।
उत्तर
नाभादास द्वारा लिखा गया यह छप्पय भक्तमाला से संकलित है। नाभादास ने इस पंक्ति में सूरदास जी के कविताओ और उनके गुणों का उल्लेख किया है। इन पंक्तियों में नाभादास जी कहते हैं कि सूरदास की कविताओं को सुनकर कोई भी कभी उनकी बातों को गलत नहीं कह सकता सभी उनकी कविताओं पर अपनी हामी भरते हैं और अपना सिर हाँ में हिलाते हैं।
(ख) भगति विमुख जे धर्म सो सब अधर्म करि गाए ।
उत्तर
नाभादास द्वारा लिखा गया यह छप्पय भक्तमाला से संकलित है। नाभादास ने इस पंक्ति में कबीर जी के व्यक्तित्व और उनके गुणों का उल्लेख किया है। इन पंक्तियों में नाभादास जी कहते हैं कि कबीर जी ने हृदय से किए गए भक्ति को धर्म माना है। जिसमें सच्ची भावना हो, प्रेम हो बाकी सब अधर्म है, दिखावा है। Chappy Subjective Question
पक्षपात नहीं वचन सबही के हित की भाषी । इस पंक्ति मे कबीर के किस गुण का परिचय दिया गया है ?
उत्तर
“पक्षपात नहीं वचन सबही के हित की भाषी” इस पंक्ति में कबीर ने सभी के प्रति समान रहने वाले समानता के गुण का परिचय दिया है। कबीर किसी के साथ पक्षपात नहीं करते हैं। वे सभी के साथ एक समान व्यवहार करते हैं। वह जो कुछ भी बोलते हैं वह सभी के हित के लिए होता है।
कविता मे तुक का क्या महत्व है ? इन छप्पयों के संदर्भ मे स्पष्ट करें ।
उत्तर
साखी-भाषी, भनी-दर्शनी, अतिभारी-तुकधारी, भासी-परकासी जैसे शब्द एक तुक को धारण किये हुए हैं। कविताओं में तुक का बड़ा महत्व होता है। पंक्तियों के अंत में ऐसे शब्द प्रयोग से कविता एक लय में सुनाई पड़ती हैं। इससे कवि की प्रतिभा का पता चलता है। ये तुक नाभादास की कविता में ही देखने को मिलते हैं, हिंदी साहित्य में नहीं। Chappy Subjective Question
कबीर कानि राखी नहीं से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर
कबीर कानि राखी से क्या तात्पर्य है। कबीर ने भगवान की भक्ति को ही महत्व दिया है। उनके लिए चार वर्णाश्रम और छः दर्शन का कोई महत्व नहीं है। Chappy Subjective Question
कबीर ने भक्ति को कितना महत्व दिया ?
उत्तर
कबीर ने भक्ति को सब से ऊपर सर्वश्रेष्ठ माना है। योग, व्रत, दान को तुच्छ माना है। दिखावे की भक्ति से ज्यादा महत्व मन की भक्ति को दिया है। साफ मन से की गई भक्ति को ही वे सर्वश्रेष्ठ मानते हैं।
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