सारांश

tumul kolahal kalh me arth

पद्य-6 | तुमुल कोलाहल कलह में भावार्थ (सारांश) – जयशंकर प्रसाद | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित कविता “तुमुल कोलाहल कलह में” महाकाव्य “कामायनी” का अंश है। इसमें जो नायक और नायिका है। वह हमारी भावनाओं और को दिखाती हैं। मनु मन को, श्रद्धा ह्रदय को और इड़ा हमारे बुद्धि को दिखाते हैं। इस कविता में श्रद्धा कहती हैं की, इस सारे शोरगुल में, मैं हृदय की बात हूँ मन। जब हम थक जाते है और हमे नींद आती है। मैं वही शांति हूँ मन।

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kavitt bhavarth (saransh)

पद्य-5 | कवित्त भावार्थ (सारांश) – भूषण | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

भूषण जी ने अपने इस कवित्त में अपने प्रिय नायकों के बारे में लिखा है। भूषण जी, शिवाजी महाराज के शौर्य एवं शक्ति की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि, जैसे इंद्र का राज यमराज पर है। राम का राज रावण पर है। शिव का राज रति के पति पर है। परशुराम का राज सहस्रबाहु पर है। कृष्ण का राज कंस पर है। उजाले का राज अंधेरे पर है। उसी प्रकार वीर शिवाजी का राज इन तुच्छ मलेच्छो पर है।

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chhppya bhavarth (saransh)

पद्य-4 | छप्पय भावार्थ (सारांश) – नाभादास | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

नाभादास द्वारा लिखा गया यह छप्पर भक्तमाला से संकलित है। नाभादास ने अपने इस छप्पर में कबीर और सूरदास के व्यक्तित्व गुण और उनके कविताओं के सौंदर्य एवं प्रभावों के बारे में लिखा है। नाभादास जी, कबीर जी के बारे में कहते हैं कि, कबीर जी ने ह्रदय की भक्ति को धर्म माना है और योग्य, यज्ञ, व्रत, दान और भजन आदि को तुच्छ दिखाया है।

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tulsidas ke pad bhavarth

पद्य-3 | पद भावार्थ (सारांश) – तुलसीदास | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

तुलसीदास जी का यह पद विनय पत्रिका से संकलित है। वे इस पद में माता सीता से याचना करते हैं, कि हे जगत जननी माँ सीता, आपको कभी समय मिले तो आप श्री राम को मेरी याद दिला दीजिएगा। हे माता जब प्रभु की इच्छा यह जानने की हो की, उनका यह दास है कौन? तब आप मेरा नाम और मेरी दशा उन्हे बता दीजिएगा।

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Pad bhavarth (saransh)

पद्य-2 | पद भावार्थ (सारांश) – सूरदास | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

यह पद सूरदास के विश्वप्रसिद्ध कृति सुरसागर से संकलित हैं। कवि इस पहले पद खण्ड में माता यशोदा द्वारा सोये हुए बाल श्री कृष्ण को उठाए जाने का वर्णन है। माता यशोदा कृष्ण से कहती हैं, जागिए ब्रजराज कुँवर अब कमल के फूल खिल गए हैं।

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kadbak bhavarth (saransh)

पद्य-1 | कड़बक भावार्थ (सारांश) – मलिक मुहम्मद जायसी | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

कड़बक पद्मावत महाकाव्य से संकलित हैं। जिसके कवि मलिक मुहम्मद जायसी जी है। मुहम्मद जायसी ने इस कविता में जो सुनाया है। इसे वही समझा पाया है और गाया है, जिसने प्रेम की पीड़ा को सुना और समझा है। प्रेम को रक्त कि लेई (गोंद) लगाकर जोड़ा गया है, इसकी गहरी प्रीति को आँसुओं से भिगोया गया है। मन में यह जान कर इस कविता की रचना की गई है, कि जगत में मेरी यही निशानी बची रह जाएगी।

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