सारांश

Shiksha Saransh

गद्य-13 | शिक्षा (सारांश) – जे० कृष्णमूर्ति | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

“शिक्षा” “कृष्णमूर्ति फाउंडेशन” द्वारा प्रकाशित एक संभाषण है। जे० कृष्णमूर्ति ने इस पाठ में सच्ची शिक्षा के महत्व को समझाया है। सच्ची शिक्षा मनुष्य को पूरी तरह से स्वतंत्र आत्म-निर्भर तथा आत्म-विश्वासी बनाती है। लेखक कहते हैं कि, शिक्षा मनुष्य को सत्य की ओर ले जाती है। जीवन जीने के तरीके में मदद करती है। जीवन, संघर्ष का दूसरा नाम है। जीवन धन्य है और धर्म में भी है। जीवन गुड है, जीवन मन की प्रच्छन्न वस्तुऍं हैं– ईर्ष्याऍं, महत्वकांक्षाऍं, वासनाऍं, भय, सफलताऍं, चिंताऍं। शिक्षा जीवन की संपूर्ण प्रक्रिया को समझने में हमारी मदद करती है।

Tirichh Saransh

गद्य-12 | तिरिछ (सारांश) – उदय प्रकाश | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

उदय प्रकाश द्वारा लिखा गया तिरिछ प्रसिद्ध कहानी एक उत्तर आधुनिक त्रासदी है। यह कहानी नई पीढ़ी के बेटे के दृष्टिकोण से बाबूजी के बारे में लिखी गई है। जो सुदूर गाॅंव में रहते हैं। वे शहर जाते हैं और फिर से शहर में उनके साथ जो कुछ घटित होता है, यह कहानी उसी के बारे में है। इस कहानी को “जादुई यथार्थ” की कहानी कहा जाता है। इस कहानी के अनुसार पिताजी 55 साल के थे। दुबला शरीर था। वे सोचते ज्यादा और बोलते बहुत कम थे। बच्चों के लिए वे बहुत बड़े रहस्य थे। लेखक को लगता था कि वे संसार की सारी भाषाऍं बोल सकते हैं।

Haste Huye Mera Akelapan (Saransh)

गद्य-11 | हँसते हुए मेरा अकेलापन (सारांश) – मलयज | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

मलयज जी रानीखेत में लिखते हैं कि, “मिलिट्री की छावनी” के लिए पुरे सीजन इंधन और आगे आने वाले जाड़ों के लिए पेड़ को काटा जा रहा है। कोई पेड़ो के दर्द को नहीं समझ रहा है। उनकी दर्द भरी आवाज को कोई नहीं सुन रहा है। पोस्ट ऑफिस के बिल्कुल-सामने बाई ओर ग्यारह देवदार के वृक्ष है, जैसे एकादश रूद्र। कवि सोचते हैं कि, ये ग्यारह ही क्यों हुए बारह या दस क्यों ना हुए । एक खेत के मेड़ पर बैठी कौवों की कतार देखकर वे अपने बचपन को के दिनों को याद करते हैं।

Juthan saransh

गद्य-10 | जूठन (सारांश) – ओमप्रकाश वाल्मीकि | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

ओमप्रकाश वाल्मीकि की “आत्मकथा” “जूठन” पिछड़ी-दलित एवं निम्न जाति के लोगों के दैनीय स्थिति को दर्शाती है। ओमप्रकाश वाल्मीकि चूहड़े जाति से थे। नीची जाति के होने के कारण उन्हें स्कूल में बैठने नहीं दिया जाता था। उनसे झाड़ू लगवाया गया। उनकी माता तागाओ (हिंदू-मुसलमान) के घर और मवेशियों के रहने के स्थान में साफ-सफाई का काम करती थी। घर के सभी लोग माॅं का हाथ बटाटे थे।‌ सालों भर काम करने के बाद भी उन्हें 12 से 13 किलो ही अनाज मिलता था।

Pragit aur Samaj Saransh

गद्य-9 | प्रगीत और समाज (सारांश) – नामवर सिंह | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

नामवर सिंह द्वारा लिखी गई ये आलोचक निबंध “प्रगीत और समाज” कवि कि आलोचनात्मक निबंधों की पुस्तक “वाद विवाद संवाद” से लिया गया है। इस निबंध में नामवर सिंह ने “प्रगीत” को लेकर समाज में क्या भावनाएं हैं, उसके बारे में लिखा है। “प्रगीत” एक ऐसा काव्य है जिसे गाया जा सकता है। लेखक लिखते हैं कि, कविता पर समाज के दबाव को तीव्रता से महसूस किया जा रहा है। ऐसे वातावरण में लेखक उन कविताओं की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं जिनमें जो लंबी और मानवता से भरी हुई है।

Sipahi ki maa Saransh

गद्य-8 | सिपाही की माँ (सारांश) – मोहन राकेश | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

“सिपाही की माँ”, “मोहन राकेश” द्वारा लिखी गई यह एकांकी “अंडे के छिलके तथा अन्य एकांकी” से ली गई है। इस एकांकी में निम्न मध्यवर्ग के ऐसी माँ बेटी की कथा को दिखाया गया है। जिसके घर का इकलौता बेटा सिपाही के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध के मोर्चे पर बर्मा में लड़ने गया है।

O Sadanira Saransh

गद्य-7 | ओ सदानीरा (सारांश) – जगदीशचंद्र माथुर | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

इस निबंध में गंडक नदी की महानता चंचलता, उस के शौर्य तथा संपूर्ण इतिहास के बारे में बताया गया है। गंडक नदी के चंचलता के कारण यहाॅं गहरे ताल और विशाल मन है।

Ek Lekh Aur Ek Patra Saransh

गद्य-6 | एक लेख और एक पत्र (सारांश) – भगत सिंह | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

“एक लेख और एक पत्र” में “भगत सिंह” द्वारा लिखा गया है। इस पाठ में “भगत सिंह” द्वारा लिखा गया लेख “विद्यार्थी और राजनीति” तथा घनिष्ठ क्रांतिकारी मित्र “सुखदेव के नाम पत्र” दिया गया है। अमर शहीद भगत सिंह हमारे देश के एक महान क्रांतिकारी थे। वे अपने लेख में कहते हैं कि, छात्रों को अपने दायित्वों का निर्वाहन पूर्ण निष्ठा के साथ करना चाहिए। सच्ची लगन, निष्ठा एवं नैतिक गुणों को अपना, अपने जीवन का आदर्श बनना चाहिए। अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए।

Roj Saransh

गद्य-5 | रोज सारांश – सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन (अज्ञेय) | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

“रोज” कहानी “सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय” द्वारा लिखी गई है। इस कहानी में लेखक 4 साल बाद मालती से मिलने गए है। मालती उनकी दूर के रिश्ते की बहन है, लेकिन वह एक दोस्त की तरह रहते थे, उनकी पढ़ाई एक साथ हुई थी। जब लेखक मालती से मिले थे, तो वह एक लड़की थी, और अब वह एक विवाहित है, जो एक बच्चे की माँ भी है।

Ardhnarishwar Saransh

गद्य-4 | अर्धनारीश्वर सारांश – रामधारी सिंह दिनकर जी | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

अर्धनारीश्वर निबंध रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा लिखा गया है। अर्धनारीश्वर पाठ में स्त्री और पुरुष के गुणों को बताया गया है, तथा समाज द्वारा इन में किए जाने वाले भेदभाव को भी समझाया गया है। “अर्धनारीश्वर” शिव और पार्वती का कल्पित रूप है। जिसका आधा अंग पुरुष और आधा अंग नारी का होता है। इसके माध्यम से लेखक हमें यह समझाना चाहते हैं कि, नारी पुरुष से कम नहीं है और पुरुष में भी नारीत्व का गुण होता है।

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