Haste Huye Mera Akelapan (Saransh)

गद्य-11 | हँसते हुए मेरा अकेलापन (सारांश) – मलयज | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

विवरण

haste huye mera akelapan (Saransh)

आधारित पैटर्नबिहार बोर्ड, पटना
कक्षा12 वीं
संकायकला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc)
विषयहिन्दी (100 Marks)
किताबदिगंत भाग 2
प्रकारसारांश
अध्यायगद्य-11 | हँसते हुए मेरा अकेलापन – मलयज
कीमतनि: शुल्क
लिखने का माध्यमहिन्दी
उपलब्धNRB HINDI ऐप पर उपलब्ध
श्रेय (साभार)रीतिका
गद्य-11 | हँसते हुए मेरा अकेलापन (सारांश) – मलयज | कक्षा-12 वीं

सारांश

haste huye mera akelapan (Saransh)

‘हँसते हुए मेरा अकेलापन’ ‘मलयज’ की लगभग “डेढ़ हजार पृष्ठों में फैली हुई, डायरियो” का एक छोटा अंश है। मलयज की कविता और आलोचना से कम महत्वपूर्ण नहीं है, उनकी डायरियाँ। ये कवि-आलोचनक के एक प्रतिभाशाली, संवेदनशीलता और आत्मनिर्माण का सबूत

है। कवि मलयज जी अपने डायरी में लिखते हैं। डायरी लिखना मेरे लिए आसान नहीं है क्योंकि ये साक्षी होगी, मेरे द्वारा किए गए सभी अच्छी-बुरी कामों की।

मलयज जी रानीखेत में लिखते हैं कि, “मिलिट्री की छावनी” के लिए पुरे सीजन इंधन और आगे आने वाले जाड़ों के लिए पेड़ को काटा जा रहा है। कोई पेड़ो के दर्द को नहीं समझ रहा है। उनकी दर्द भरी आवाज को कोई नहीं सुन रहा है।

पोस्ट ऑफिस के बिल्कुल-सामने बाई ओर ग्यारह देवदार के वृक्ष है, जैसे एकादश रूद्र। कवि सोचते हैं कि, ये ग्यारह ही क्यों हुए बारह या दस क्यों ना हुए । एक खेत के मेड़ पर बैठी कौवों की कतार देखकर वे अपने बचपन को के दिनों को याद करते हैं।

कौसानी में वे कोई चिट्ठी आने का इंतजार दोपहर तक करते हैं। चिट्ठी नहीं आने पर वे निराश हो जाते है और उनकी तबीयत खराब हो जाती हैं। शाम के समय अखबार पढ़ने आए, सूचना केंद्र में एक अधेड़ व्यक्ति से वे आकर्षित होते हैं, जो कल पुस्तकों के छपने की बात किसी से तेज स्वर में कर रहा था। नाम बलभद्र ठाकुर था, वह लूंगी और जैकेट पहने थे।

haste huye mera akelapan (Saransh)

बारिश होने के कारण वे घंटे-डेढ़ घंटे तक नेगी परिवार के साथ अच्छा समय बिताते हैं और बूढ़ी माँ स्केच बनाकर उन्हें ही दे देते हैं। वे उनके मकान का एक रंगीन स्केच बनाए होते हैं जगत सिंह की भाभी के मांगने पर उन्हें देना पड़ता हैं।
सात आठ साल की एक छोटी बच्ची को से बेचते देखते हैं और उससे सेब खरीदते हैं। वह इतनी छोटी होती है कि उससे सेब नहीं कटते हैं।

“25 जुलाई 80” की डायरी मुझे बहुत प्रभावी लगी क्योंकि लेखक ने उसमें अपने डर को लिखा है, अपना डर किसी को बताना बहुत मुश्किल होता है। लेखक लिखते हैं, वे घर में किसी को भी बीमार देखकर डर जाते हैं की किसी को कोई बुरी बीमारी ना हो गई हो। बाहर गए हुए आदमी को जब घर लौटने में देरी होती है, तो वे तब तक डर से घिरे होते हैं, जब तक सही सलामत वह आदमी घर ना आ जाए। पार्क में खेलने गए बच्चे शाम का अंधेरा गिराने के बाद एकाएक जब वहाँ नहीं दिखाई देते हैं तब कहाँ गए यह सोचकर और देर तक कोई जवाब ना मिलने पर वह डर जाते हैं।


Quick Link

Chapter Pdf
यह अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही इसे publish किया जाएगा । बीच-बीच में वेबसाइट चेक करते रहें।
मुफ़्त
Online Test 
यह अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही इसे publish किया जाएगा । बीच-बीच में वेबसाइट चेक करते रहें।
मुफ़्त
सारांश का पीडीएफ़
यह अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही इसे publish किया जाएगा । बीच-बीच में वेबसाइट चेक करते रहें।
मुफ़्त

हिन्दी 100 मार्क्स सारांश

You may like this

Sipahi ki maa Saransh

गद्य-8 | सिपाही की माँ (सारांश) – मोहन राकेश | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

“सिपाही की माँ”, “मोहन राकेश” द्वारा लिखी गई यह एकांकी “अंडे के छिलके तथा अन्य एकांकी” से ली गई है। इस एकांकी में निम्न मध्यवर्ग …
Continue Reading…
Roj Saransh

गद्य-5 | रोज सारांश – सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन (अज्ञेय) | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

“रोज” कहानी “सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय” द्वारा लिखी गई है। इस कहानी में लेखक 4 साल बाद मालती से मिलने गए है। मालती उनकी दूर …
Continue Reading…
Jan Jan ka Chehara Ek Subjective Question

पद्य-9 | जन-जन का चेहरा एक (प्रश्न-उत्तर) – गजानन माधव मुक्तिबोध | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

जन जन का चेहरा एक का प्रश्न-उत्तर पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। Q1. जन जन का चेहरा एक से कवि का क्या तात्पर्य है ? उत्तर- जन जन का चेहरा एक से कवि का तात्पर्य उन लोगों …
Continue Reading…
Tulsidas ke pad Subjective Question

पद्य-3 | पद (प्रश्न-उत्तर) – तुलसीदास | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

तुलसीदास के पद का प्रश्न-उत्तर पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। Q1. ‘कबहुँक अंब अवसर पाई ।’ यहाँ ‘अंब’ संबोधन किसके लिए है ? इस संबोधन …
Continue Reading…
pyare nanhe bete ko arth

पद्य-11 | प्यारे नन्हें बेटे को भावार्थ (सारांश) – विनोद कुमार शुक्ल | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

विनोद कुमार शुक्ल जी द्वारा रचित कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की …
Continue Reading…
ganw ka ghar (saransh)

पद्य-13 | गाँव का घर भावार्थ (सारांश) – ज्ञानेंद्रपति | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

ज्ञानेंद्रपति द्वारा रचित कविता “गाॅंव का घर” उनके नवीनतम कविता संग्रह “संशयात्मा” से ली गई है। जिसमें गाॅंव की संस्कृति-सभ्यता मे हुए बदलाव को दिखाते …
Continue Reading…

Leave a Comment

Your email address will not be published.

error: Content is protected !!