Pyare Nanhe Bete Ko Subjective Q & A

पद्य-11 | प्यारे नन्हें बेटे को (प्रश्न-उत्तर) – विनोद कुमार शुक्ल | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

विवरण

Pyare Nanhe Bete Ko Subjective Q & A

आधारित पैटर्नबिहार बोर्ड, पटना
कक्षा12 वीं
संकायकला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc)
विषयहिन्दी (100 Marks)
किताबदिगंत भाग-2
प्रकारप्रश्न-उत्तर
अध्यायपद्य-11 | प्यारे नन्हें बेटे को – विनोद कुमार शुक्ल
कीमतनि: शुल्क
लिखने का माध्यमहिन्दी
उपलब्धNRB HINDI App पर उपलब्ध
श्रेय (साभार)रीतिका
पद्य-11 | प्यारे नन्हें बेटे को (प्रश्न-उत्तर) – विनोद कुमार शुक्ल | कक्षा-12 वीं
‘बिटिया’ से क्या सवाल किया गया है ?

उत्तर

बिटिया से सवाल किया गया है कि, ‘बतलाओ आसपास कहाँ-कहाँ लोहा है।’

Pyare Nanhe Bete Ko Subjective Q & A


‘बिटिया’ कहाँ-कहाँ लोहा पहचान पाती है ?

उत्तर

बिटिया अपने आसपास के लोहे को पहचान पाती है। चिमटा, करकुल, सिगड़ी, समसी, दरवाजे की साँकल कब्जे में लोहे को पहचानती है। Pyare Nanhe Bete Ko Subjective Q & A


कवि लोहे की पहचान किस रूप में कराते हैं ? यही पहचान उनकी पत्नी किस रूप में कराती हैं ?

उत्तर

कवि लोहे की पहचान उन वस्तुओं से करते हैं जो काम करने में उपयोग होता है। फावड़ा, कुदाली ,टाँगिया, बसूला, खुरपी और चक्के का पट्टा इत्यादि से करते हैं । जिसका उपयोग लोगों द्वारा किये जा रहे कामो में किया जाता है ।

यही पहचान उनकी पत्नी बाल्टी, सामने कुएँ में लगी लोहे की घिर्री, छत्ते की कड़ी-डंडी और घमेला, हँसिया और चाकू इत्यादि से कराती है । जिसका प्रयोग घर के कामों को करने में किया जाता है।

दोनों ही लोहे की पहचान लोगों द्वारा किए जा रहे काम के रूप में कराते हैं। Pyare Nanhe Bete Ko Subjective Q & A


लोहा क्या है ? इसकी खोज क्यों की जा रही है ?

उत्तर

लोहा एक धातु है किंतु कविता में इसका उपयोग कर्म को दिखाने के लिए किया गया है। इसकी खोज इसलिए की जा रही है ताकि, लोगों को समझाया जा सके कि हर वह व्यक्ति जो अपना काम करते हैं। मेहनत करके अपना जीवन यापन करते हैं। वह सभी मजबूत लोहे के समान है।


इस घटना से उस घटना तक’ -यहाँ किन घटनाओं की चर्चा है ?

उत्तर

‘इस घटना से उस घटना तक’ – यहाँ उन घटनाओं की चर्चा है जिसमें बच्चों को अभी उनके कर्म को सिखाया जा रहा है। घर के सभी व्यक्ति मिलकर उन्हें समझाते हैं। कवि कल्पना करते हैं कि जल्दी से उनका लड़का उनके कंधे से ऊँचा हो और लड़की के लिए प्यारा सा दूल्हा ढूढाँ जाए


अर्थ स्पष्ट करें –
कि हर वो आदमी
जो मेहनतकश
लोहा है
हर वो औरत
दबी सताई
बोझ उठाने वाली, लोहा ।

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियाँ दिगंत भाग 2 के कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” से ली गई है। इसके कवि विनोद कुमार शुक्ल जी है। यह कविता उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह” से संकलित है। इन पंक्तियो मे कवि कहते है की, हर वो आदमी जो मेहनत करता है वो लोहा है। हर वो आदमी जो मेहनत करके आपना जीवन यापन करता है। वो लोहा है। हर वो औरत जो दबी सतायी गई है और जो ये बोझ उठती है, वो लोहा है।


कविता में लोहे की पहचान अपने आसपास में की गई है। बिटिया, कवि और उनकी पत्नी जिन रूपों में इसकी पहचान करते हैं, ये आपके मन में क्या प्रभाव उत्पन्न करते हैं ? बताइए ।

उत्तर

कविता में बिटिया लोहे कि पहचान एक वस्तु या धातु के रूप में करती है किंतु कवि और उनकी पत्नी लोहे की पहचान कर्म के रूप में कराते हैं।

इससे हमारे मन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है।
लोहा हमारे आसपास सभी जगहों पर है ।
लोहा हमारे जीवन का आधार है ।
Pyare Nanhe Bete Ko Subjective Q & A


मेहनतकश आदमी और दबी-सतायी, बोझ उठाने वाली औरत में कवि द्वारा लोहे की खोज का क्या आशय है?

उत्तर

‘मेहनतकश आदमी और दबी-सतायी, बोझ उठाने वाली औरतों’ में कवि द्वारा लोहे की खोज का आशय यह है कि जो आदमी मेहनत करता है। सर्दी, गर्मी, बरसात में दृढ़ता से खड़ा रहता है । वह दृढ़ता, वह परिश्रम लोहे की तरह मजबूत होती है ।
वह औरत जो लोगों द्वारा सतायी जाती है। घर से बाहर तक, सभी कामों को करती है। उसका बोझ उठाती है, सभी अत्याचारों को सहकर भी अपने परिवार का ध्यान रखती है। विषम परिस्थितियों का सामना भी साहस के साथ करती है। वह लोहे की तरह मजबूत है। इसमें कवि ने शारीरिक और मानसिक मजबूती और कर्म को लोहे के सदृश दिखाया है।


यह कविता एक आत्मीय संसार की सृष्टि करती है पर वह संसार बाह्य निरपेक्ष नहीं है। इसमें दृष्टि और संवेदना, जिजीविषा और आत्मविश्वास सम्मिलित हैं। इस कथन की पुष्टि कीजिए ।

उत्तर

यह कथन पूरी तरह सत्य है की यह कविता आत्मीय संसार की सृष्टि करती है। कवि ने जिस आत्मीय संसार की सृष्टि की है उसमे मेहनतकश आदमी के परिश्रमपूर्ण जीवन तथा शोषित, पीड़ित, अत्याचार को सहती हुई औरत की घर-परिवार की जिम्मेदारियो का बोझ उठाए जीवन जीने की अभिलाषा को भी शामिल किया गया। इसके अलावा कवि ने बेटे को बड़े और बेटी के लिए उपयुक्त वर मिलने तथा उसके शादी करने की बात भी कही है । इस प्रकार हम कह सकते है की यह कविता दृष्टि और संवेदना, जिजीविषा और आत्मविश्वास युक्त आत्मीय संसार की सृष्टि करती है ।  


बिटिया को पिता ‘सिखलाते’ हैं तो माँ ‘समझाती’ है । ऐसा क्यों ?

उत्तर

बिटिया को पिता ‘सिखलाते’ लाते हैं, तो माँ ‘समझाती’ है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिता एक पुरुष हैं। वह किसी भी काम को करने से डरते नहीं है, इसलिए वह उत्साहित होकर किसी भी काम को सीखते और सिखलाते हैं। माँ सभी प्रकार की परिस्थितियों से वाकिफ होती है इसलिए वह बिटिया को समझाती है और सोच समझकर कार्य करने को कहती है।

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