विवरण
ek lekh aur ek patra saransh
आधारित पैटर्न | बिहार बोर्ड, पटना |
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कक्षा | 12 वीं |
संकाय | कला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc) |
विषय | हिन्दी (100 Marks) |
किताब | दिगंत भाग 2 |
प्रकार | सारांश |
अध्याय | गद्य-6 | एक लेख और एक पत्र – भगत सिंह |
कीमत | नि: शुल्क |
लिखने का माध्यम | हिन्दी |
उपलब्ध | NRB HINDI ऐप पर उपलब्ध |
श्रेय (साभार) | रीतिका |
सारांश
ek lekh aur ek patra saransh
“एक लेख और एक पत्र” में “भगत सिंह” द्वारा लिखा गया है। इस पाठ में “भगत सिंह” द्वारा लिखा गया लेख “विद्यार्थी और राजनीति” तथा घनिष्ठ क्रांतिकारी मित्र “सुखदेव के नाम पत्र” दिया गया है। अमर शहीद भगत सिंह हमारे देश के एक महान क्रांतिकारी थे।
छात्रों को राजनीतिक या पॉलिटिक्स कामों में हिस्सा लेना चाहिए। हमारा दुर्भाग्य है कि, उन्हें हिस्सा लेने नहीं दिया जाता विद्यार्थियों से कॉलेज में दाखिल होने से पहले इस आशय की शर्त पर हस्ताक्षर करवाया जाता है कि वह कभी राजनीति में नहीं जाएंगे। छात्रों को आवश्यकता पड़ने पर तन-मन-धन से देश की सेवा में भाग लेना चाहिए और अपने जीवन का बलिदान देने में गर्व का अनुभव करना चाहिए।
ek lekh aur ek patra saransh
भगत सिंह अपने पत्र में लिखते हैं कि, आत्महत्या एक घृणित अपराध है, वह कायरता का कार्य है। क्रांतिकारी ही नहीं कोई भी मनुष्य ऐसा कार्य को सही नहीं कह सकता। वे कहते हैं कि, मानव किसी भी कार्य को उचित मानकर ही करता है। जैसे की वे और उनके मित्र ने लेजिस्लेटिव असेंबली में बम फेंकने का कार्य किया था।
वह अपने क्रांतिकारी भावनाओं और अपने देश भक्ति के साथ 14 वर्ष जेल में कष्टों से भरपूर जीवन को जीते हुए खुशी-खुशी फांसी पर चढ़ गए, लेकिन कभी हार नहीं मानी और देश के लिए शहीद हो गए । परिवर्तन, क्रांति के बिना संभव नहीं है। क्रांति तो केवल सतत कार्य करते रहने से प्रयत्नों से, कष्ट सहन करने एवं बलिदानों से ही उत्पन्न की जा सकती है और की जाएगी।
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