Har jit Subjective Question

पद्य-12 | हार-जीत (प्रश्न-उत्तर) – अशोक वाजपेयी | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

विवरण

Har jit Subjective Question

आधारित पैटर्नबिहार बोर्ड, पटना
कक्षा12 वीं
संकायकला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc)
विषयहिन्दी (100 Marks)
किताबदिगंत भाग-2
प्रकारप्रश्न-उत्तर
अध्यायपद्य-12 | हार-जीत – अशोक वाजपेयी
कीमतनि: शुल्क
लिखने का माध्यमहिन्दी
उपलब्धNRB HINDI App पर उपलब्ध
श्रेय (साभार)रीतिका
पद्य-12 | हार-जीत (प्रश्न-उत्तर) – अशोक वाजपेयी | कक्षा-12 वीं
उत्सव कौन और क्यों मना रहे हैं ?

उत्तर

उत्सव शहर में रहने वाले नागरिक मना रहे हैं क्योंकि उनके शासन की विजय हुई है। वह युद्ध को जीत गए हैं और वापस आ रहे हैं लेकिन युद्ध में मरे हुए सैनिक के बारे में और युद्ध के सच के बारे में कुछ भी पता नहीं है। वह सिर्फ जीत की खुशी मना रहे हैं। Har jit Subjective Question


नागरिक क्यों व्यस्त हैं ? क्या उनकी व्यस्तता जायज है ?

उत्तर

नागरिक विजयपर्व मनाने की तैयारी में व्यस्त हैं। नहीं, उनकी व्यस्तता जायज नहीं है क्योंकि, उन्हें सच का पता नहीं है, उन्हें लगता है कि उनकी जीत हुई है, किंतु जीत शासक की हुई है। वास्तव में नागरिकों की हार हुई है। Har jit Subjective Question


‘किसकी विजय हुई सेना की, कि नागरिकों की ?’ कवि ने यह प्रश्न क्यों खड़ा किया है ? यह विजय किनकी है ? आप क्या सोचते हैं ? बताएँ ।

उत्तर

कवि ने यह प्रश्न इसलिए खड़ा किया है क्योंकि युद्ध में विजय शासक और सैनिकों की हुई है, नागरिकों की नहीं। उन्हें सच का पता कल भी नहीं था और आज भी नहीं है। उनकी स्थिति जैसे पहले थी वैसी ही रहने वाली है।  Har jit Subjective Question


‘खेत रहनेवालों की सूची अप्रकाशित है।’ इस पंक्ति के द्वारा कवि ने क्या कहना चाहा है ? कविता में इस पंक्ति की क्या सार्थकता है ? बताइए ।

उत्तर

इस पंक्ति के द्वारा कवि कहना चाहते हैं कि, नागरिक शासक के विजय होने की खुशी में इतने व्यस्त हो गए है कि वे सैनिकों के बारे में सोच ही नहीं रहे हैं। वह नहीं जानते हैं कि कितने सैनिक युद्ध पर गए थे और कितने लौट कर वापस आए हैं। जो सैनिक युद्ध में शहीद हो गए हैं। उनकी सूची अप्रकाशित है अर्थात शासक और नागरिक दोनों उन वीरों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। विजय की खुशी में वे इतने स्वार्थी हो गए हैं कि उन्हें पता ही नहीं है कि उन शहीदों के परिवार वालों पर क्या बीत रही है इन सब से कोई मतलब नहीं है।


सड़कों को क्यों सींचा जा रहा है ?

उत्तर

सड़कों को इसलिए सींचा जा रहा है क्योंकि जो शासक जीतकर आ रहे हैं, उन्हें कोई गंदगी या धूल नहीं मिले। 

Har jit Subjective Question


बूढ़ा मशकवाला क्या कहता है और क्यों कहता है ?

उत्तर

बूढ़ा मशकवाला कहता है कि “एक बार फिर हमारी हार हुई है गाना बजाने के साथ जीत नहीं, हार लौट रही है।” ऐसा वह इसलिए कहते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि जनता का वही हाल रहने वाला है, जो पहले था। कुछ बदलने वाला नहीं है, नागरिकों की स्थिति दयनीय ही रहने वाली है। वह जानता है कि युद्ध में सैनिक मरे हैं, लेकिन शासक सबसे इस बात को छुपा रहे हैं और कोई बूढ़ा मशकवाला की बात पर ध्यान ही नहीं दे रहा है क्योंकि किसी को कोई मतलब ही नहीं है। 


बूढ़ा मशकवाला किस जिम्मेवारी से मुक्त है ? सोचिए अगर वह जिम्मेवारी उसे मिलती तो क्या होता ?

उत्तर

बूढ़ा मशकवाला पर सच को दर्ज करने या बोलने की जिम्मेदारी नहीं है। अगर यह जिम्मेवारी उस पर रहती तो सच बोलने के कारण उसकी जान हमेशा खतरे में रहती या सच को जानकर नागरिक विजयपर्व नहीं मनाते और वास्तविकता से वाकिफ रहते।  Har jit Subjective Question


‘जिन पर है वे सेना के साथ ही जीतकर लौट रहे हैं।’ ‘जिन’ किनके लिए आया है ? वे सेना के साथ कहाँ से आ रहे हैं, वे सेना के साथ क्यों थे, वे क्या जीतकर लौटे हैं। बताएँ ।

उत्तर

इस पंक्ति में ‘जिन’ शब्द का उपयोग शासक और मंत्री के लिए किया गया है। वह सेना के साथ युद्ध में विजय प्राप्त कर लौट रहे हैं। वे सेना के साथ इसलिए थे क्योंकि, उन्हें युद्ध को जीतने के लिए उनकी जरूरत है। वे किसी युद्ध कर को जीतकर लौटे हैं। Har jit Subjective Question


गद्य कविता क्या है ? इसकी क्या विशेषताएँ हैं ? इस कविता को देखते-परखते हुए बताएँ ।

उत्तर

छोटी गद्य कविताएँ हिन्दी में नई ही हैं, इनका विशिष्ट रूप और आकार – प्रकार समसामयिक अनुभव की धरती से सामग्री उठाकर बोलचाल, बातचीत और सामान्य मन : चिंतन के रूप में सामने आने वाला तथ्य रहता है। यहाँ युक्तियाँ भी हो सकती हैं और तर्क भी आ सकता है, यह कविता पेचीदगी भरी भी हो सकती है और चौरस भी


कविता में किस प्रश्न को उठाया गया है ? आपकी समझ में इसके भीतर से और कौन से प्रश्न उठते हैं ?

उत्तर

यहाँ एक ही प्रश्न है – युद्ध में कौन हारता है और कौन जीतता है ? – सेना या जनता। जनता का तो प्रश्न ही नहीं, सेना लड़ती और जीतती है पर घोषणा होती है, शासक जीत गया। क्या शासक जीता है ? जीतती है मात्र सत्ता और स्वार्थी सत्ता के लोग जो अपने अहम की पुष्टि हेतु लाखों को मरवा देती है और घोषणा करते है कि राष्ट्र के लिए उन्होंने अपनी जान दे दी। राष्ट्र को बर्वादी मिलती है अनाथ बच्चे और सूनी माँगे मिलती हैं। 


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