Putra Viyog Subjective Question

पद्य-7 | पुत्र वियोग (प्रश्न-उत्तर) – सुभद्रा कुमारी चौहान | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

विवरण

Putra viyog Subjective Question

आधारित पैटर्नबिहार बोर्ड, पटना
कक्षा12 वीं
संकायकला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc)
विषयहिन्दी (100 Marks)
किताबदिगंत भाग-2
प्रकारप्रश्न-उत्तर
अध्यायपद्य-7 | पुत्र वियोग – सुभद्रा कुमारी चौहान
कीमतनि: शुल्क
लिखने का माध्यमहिन्दी
उपलब्धNRB HINDI App पर उपलब्ध
श्रेय (साभार)रीतिका
पद्य-7 | पुत्र वियोग भावार्थ (प्रश्न-उत्तर) – सुभद्रा कुमारी चौहान | कक्षा-12 वीं
कवियित्री का खिलौना क्या है?

उत्तर

कवियित्री का खिलौना उनका पुत्र है। जिसकी मृत्यु हो चुकी है।  Putra viyog Subjective Question

कवियित्री स्वयं को असहाय और विवश क्यों कहती है?

कवियित्री अपने पुत्र को बचाने के लिए बहुत से जगहों पर गई। पत्थर को भी भगवान माना और उनके सामने नारियल, दूध, बताशे आदि चढ़ाकर अपना शीश नवाया लेकिन किसी देवी-देवता ने उनके पुत्र की रक्षा नहीं की और वे भी कुछ नहीं कर पायी। अपने बेटे को नहीं बचा सकी

इसलिए कवियित्री स्वयं को असहाय और विवश कहती हैं। Putra viyog Subjective Question

पुत्र के लिए माँ क्या-क्या करती है?

पुत्र के लिए माँ अपना सबकुछ छोड़ देती है। ठंड लग जाएगी, इस डर से वे अपने बेटे को अपने गोद से नीचे नहीं उतरती है। उसके एक बार पुकारने पर अपना सभी काम छोड़ दौड़ी आती है। लोरियाँ गाती है, थपकी देकर सुलाती है। माँ उन सभी कामों को करती है जिससे उसका बच्चा सुरक्षित रहे। वह पत्थर को भी भगवान मानती है, जब उसका बच्चा किसी खतरे में रहता है।

अर्थ स्पष्ट करें—
आज दिशाऍं भी हँसती हैं
है उल्लास विश्वा पर छाया,
मेरा खोया हुआ खिलौना
अब तक मेरे पास ना आया।

प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है। यह मुकुल काव्य से संकलित है। इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, आज चारों दिशाओ मे, पूरे विश्व मे, खुशी है, उल्लास है। लेकिन मेरा खोया हुआ खिलौना, मेरा बेटा अभी तक मेरे पास नहीं आया है। Putra viyog Subjective Question


माँ के लिए अपना मन समझाना कब कठिन है और क्यों?

माँ के लिए अपना मन समझाना कठिन तब हो जाता है, जब उनके सामने उनके बच्चे की मृत्यु हो जाए क्योंकि माँ अपने बच्चे के साथ हर एक पल रहती है। माँ अपने बच्चे के लिए ही जीती है। उसके एक बार बुलाने पर वह दौड़ी चली आती है। Putra viyog Subjective Question


पुत्र को “छौना ” कहानी में क्या भाव छुपा है, उसे उद्घाटित करें।

गाय के नवजात बच्चे को छौना कहा जाता है। छौना कहकर कवियित्री ने माँ और बच्चे के बीच के निश्चल प्रेम तथा माँ की ममता का भाव स्पष्ट किया है। Putra viyog Subjective Question

Putra viyog Subjective Question


मर्म उद्घाटित करें—
भाई बहिन भूल सकते हैं
पिता भले ही तुम्हें भुलावे
किंतु रात-दिन की साथिन माँ
कैसे अपना मन समझावे ।

प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है यह मुकुल काव्य से संकलित है इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, तुम्हारे भाई-बहन तुम्हें भूल सकते हैं, तुम्हारे पिता तुम्हें भूला सकते हैं लेकिन जो माँ तुम्हें नव महीने अपने गर्भ में पाली है, जो रात दिन तुम्हारे साथ रहती है, वह अपने मन को कैसे समझाए कि उसका बेटा मर चुका है।


कविता का भावार्थ संक्षेप में लिखिए।

पुत्र वियोग कविता मुकुल काव्य से संकलित है। जिसमें कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान एक माँ की पीड़ा को बताते हुए कहती हैं कि, जिसे हमेशा अपने सीने से लगा कर रखा है। जिसकी चेहरे पर जरा भी उदासी को देख मैं रात-रात भर सोती नहीं थी। जिसके लिए मैं ना जाने कितने सारे देवी-देवताओं को प्रसाद चढ़ाया है, उसके आगे अपना शीश नवाया है।

वह मुझसे दूर हो गया मैं उसे मैंने उसे खो दिया, मैं अपने मन को कैसे मनाऊ। उसके याद में मेरा हृदय तड़प रहा है। मुझे एक पल को भी शांति नहीं है। मेरा बेटा एक बार मेरे पास आ जाए तो, मैं उसे प्यार से समझाती कि उससे, उसके भाई-बहन भूल सकते हैं, उसे उसके पिता भूला सकते हैं लेकिन जो माँ उसे 9 महीने अपने गर्भ में पाली है, जो रात दिन उसके साथ रहती है वह अपने मन को कैसे समझाए कि उसका बेटा मर चुका है। वह कभी लौटकर नहीं आएगा बहुत कठिन है उसको समझाना।


इस कविता को पढ़ने पर आपके मन पर क्या प्रभाव पड़ा, उसे लिखिए।

इस कविता को पढ़कर माँ के गहन प्रेम का अनुभव होता है। माँ के लिए उसका बच्चा ही सब कुछ होता है। वह कभी भी अपने बच्चे को भुल नहीं सकती है। इस कविता को पढ़ने पर हमारे मन में माँ के प्रति और भी ज्यादा प्रेम तथा आदर की भावना जागृत हो गई है। Putra viyog Subjective Question


रिक्त पंक्तियों को पूरी करें–

क. आज दिशाएँ भी हँसती हैं
है उल्लास विश्व पर छाया
…………….……………
………………………….

मेरा खोया हुआ खिलौना
अब तक मेरे पास न आया ।

ख. मेरे भैया, मेरे बेटे, अब
माँ को यों छोड़ न जाना
..………………………
……………..…………

बड़ा कठिन है बेटा खोकर
माँ को अपना मन समझना


Quick Link

Chapter Pdf
यह अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही इसे publish किया जाएगा । बीच-बीच में वेबसाइट चेक करते रहें।
मुफ़्त
Online Test 
यह अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही इसे publish किया जाएगा । बीच-बीच में वेबसाइट चेक करते रहें।
मुफ़्त
प्रश्न-उत्तर का पीडीएफ़
यह अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही इसे publish किया जाएगा । बीच-बीच में वेबसाइट चेक करते रहें।
मुफ़्त

हिन्दी 100 मार्क्स सारांश

You may like this

Tirichh subjective Q and A

गद्य-12 | तिरिछ (प्रश्न-उत्तर) – उदय प्रकाश | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

तिरिछ का प्रश्न-उत्तर पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। Q 1. लेखक के पिता के चरित्र…
Continue Reading…
sampurn kranti saransh

गद्य-3 | संपूर्ण क्रांति सारांश – जयप्रकाश नारायण | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

छात्र आंदोलन के दौरान “संपूर्ण क्रांति का नारा” “जयप्रकाश नारायण” द्वारा दिया गया था। 5…
Continue Reading…
Juthan saransh

गद्य-10 | जूठन (सारांश) – ओमप्रकाश वाल्मीकि | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

ओमप्रकाश वाल्मीकि की “आत्मकथा” “जूठन” पिछड़ी-दलित एवं निम्न जाति के लोगों के दैनीय स्थिति को…
Continue Reading…
Sipahi ki maa Saransh

गद्य-8 | सिपाही की माँ (सारांश) – मोहन राकेश | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

“सिपाही की माँ”, “मोहन राकेश” द्वारा लिखी गई यह एकांकी “अंडे के छिलके तथा अन्य…
Continue Reading…
Ardhnarishwar Objective Q & A

गद्य-4 | अर्धनारीश्वर Objective Q & A – रामधारी सिंह दिनकर जी | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा रचित अर्धनारीश्वर पाठ का Objective Q & A पढ़ने के…
Continue Reading…
Usha Subjective Question

पद्य-8 | उषा (प्रश्न-उत्तर) – शमशेर बहादुर सिंह | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

उषा का प्रश्न-उत्तर पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। Q1. प्रातः काल का नभ कैसा था? उत्तर- प्रातः काल का नभ नीला…
Continue Reading…

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!