कविता

ganw ka ghar (saransh)

पद्य-13 | गाँव का घर भावार्थ (सारांश) – ज्ञानेंद्रपति | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

ज्ञानेंद्रपति द्वारा रचित कविता “गाॅंव का घर” उनके नवीनतम कविता संग्रह “संशयात्मा” से ली गई है। जिसमें गाॅंव की संस्कृति-सभ्यता मे हुए बदलाव को दिखाते हुए कवि कहते हैं कि, गाँव की घर का वह दहलीज, चौखट जहाँ से घर का बाहरी भाग शुरू होता है। सहजन का वह पेड़ जिससे छुड़ाई गई गोंद का गेह जिसका इस्तेमाल औरते अपनी बिंदी साटने के लिए करती थी।

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har jit bhavarth (saransh)

पद्य-12 | हार-जीत भावार्थ (सारांश) – अशोक वाजपेयी | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

प्रस्तुत कविता “हार जीत” कवि “अशोक वाजपेयी” के कविता संकलन “कहीं नहीं वहीं” से ली गई है। और यह एक गद्य कविता है। यह कविता शासक वर्ग, राजनीति, युद्ध, इतिहास और आम आदमी को लेकर आधुनिक प्रसंगों मे अनेक प्रश्न उठती है। कवि कहते है कि, नागरिकों पाता ही नहीं है की, उनका राजा, उनका शासक कौन है? और उनका शत्रु कौन है? उन्हे बताया गया है की उनकी विजय हुई है।

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pyare nanhe bete ko arth

पद्य-11 | प्यारे नन्हें बेटे को भावार्थ (सारांश) – विनोद कुमार शुक्ल | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

विनोद कुमार शुक्ल जी द्वारा रचित कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह” से संकलित है। कवि इस कविता मे कर्म को लोहा बताते है, और कहते है की, जब मैं अपनी प्यारी बेटी से पूछूँगा की बताओ कहाँ कहाँ लोहा है? तो वो आसपास की वस्तुओ को देख कर बोलेगी, चिमटा, करकुल (करछुल), सिगड़ी आदि सब मे ही लोहा है।

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adhinayak bhavarth (saransh)

पद्य-10 | अधिनायक भावार्थ (सारांश) – रघुवीर सहाय | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

अधिनायक कविता रघुवीर सहाय के संग्रह आत्महत्या के विरुद्ध से ली गई है। यह एक व्यंग्यात्मक कविता है। जिसमें कवि कहते हैं की, राष्ट्रगात में भला कौन वह है, जिसे भारत का भाग्य विधाता बोला गया है। यह कौन है, जिसका गुणगान फटा सुथन्ना पहने हरचरना गाता है। अर्थात हर आम आदमी गाता है, हर गरीब आदमी गाता है।

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jan jan ka chehra ek arth

पद्य-9 | जन-जन का चेहरा एक भावार्थ (सारांश) – गजानन माधव मुक्तिबोध | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

“जन-जन का चेहरा एक” कविता कवि “गजानन माधव मुक्तिबोध जी” द्वारा लिखी गई है। कवि ने इस कविता मे आंतरिक एकता को दिखाते हुए जनता के संघर्षकारी संकल्प मे प्रेरणा और उत्साह का संचार करते है। इन पंक्तियों कवि कहते है की, चाहे किसी देश का हो चाहे किसी प्रांत का हो सभी लोगों का चेहरा एक है। सभी लोग एक समान है।

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usha bhavarth (saransh)

पद्य-8 | उषा भावार्थ (सारांश) – शमशेर बहादुर सिंह | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

प्रसिद्ध कविता उषा शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित है। जिसमें कवि ने भोर की सुंदरता का व्याख्यान करते हुए कहते हैं की, भोर का जो आकाश है वह शंख की तरह नीला है बादलों से घिरा हुआ नीला आकाश भोर में शंख की समान दिखाई देता है। आंगन में जो मिट्टी का चूल्हा है वह अभी गिला है। भोर के समय जो आकाश में अंधकार होता है वो काली सिल के समान होता है। जिस पर मसाला पीसा जाता है।

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putra viyog bhavarth

पद्य-7 | पुत्र वियोग भावार्थ (सारांश) – सुभद्रा कुमारी चौहान | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

पुत्र वियोग कविता मुकुल काव्य से संकलित है। जिसमें कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान एक माँ की पीड़ा को बताते हुए कहती हैं कि, जिसे हमेशा अपने सीने से लगा कर रखा है। जिसकी चेहरे पर जरा भी उदासी को देख मैं रात-रात भर सोती नहीं थी। जिसके लिए मैं ना जाने कितने सारे देवी-देवताओं को प्रसाद चढ़ाया है, उसके आगे अपना शीश नवाया है।

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tumul kolahal kalh me arth

पद्य-6 | तुमुल कोलाहल कलह में भावार्थ (सारांश) – जयशंकर प्रसाद | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित कविता “तुमुल कोलाहल कलह में” महाकाव्य “कामायनी” का अंश है। इसमें जो नायक और नायिका है। वह हमारी भावनाओं और को दिखाती हैं। मनु मन को, श्रद्धा ह्रदय को और इड़ा हमारे बुद्धि को दिखाते हैं। इस कविता में श्रद्धा कहती हैं की, इस सारे शोरगुल में, मैं हृदय की बात हूँ मन। जब हम थक जाते है और हमे नींद आती है। मैं वही शांति हूँ मन।

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kavitt bhavarth (saransh)

पद्य-5 | कवित्त भावार्थ (सारांश) – भूषण | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

भूषण जी ने अपने इस कवित्त में अपने प्रिय नायकों के बारे में लिखा है। भूषण जी, शिवाजी महाराज के शौर्य एवं शक्ति की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि, जैसे इंद्र का राज यमराज पर है। राम का राज रावण पर है। शिव का राज रति के पति पर है। परशुराम का राज सहस्रबाहु पर है। कृष्ण का राज कंस पर है। उजाले का राज अंधेरे पर है। उसी प्रकार वीर शिवाजी का राज इन तुच्छ मलेच्छो पर है।

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chhppya bhavarth (saransh)

पद्य-4 | छप्पय भावार्थ (सारांश) – नाभादास | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

नाभादास द्वारा लिखा गया यह छप्पर भक्तमाला से संकलित है। नाभादास ने अपने इस छप्पर में कबीर और सूरदास के व्यक्तित्व गुण और उनके कविताओं के सौंदर्य एवं प्रभावों के बारे में लिखा है। नाभादास जी, कबीर जी के बारे में कहते हैं कि, कबीर जी ने ह्रदय की भक्ति को धर्म माना है और योग्य, यज्ञ, व्रत, दान और भजन आदि को तुच्छ दिखाया है।

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