pyare nanhe bete ko arth

पद्य-11 | प्यारे नन्हें बेटे को भावार्थ (सारांश) – विनोद कुमार शुक्ल | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

विवरण

pyare nanhe bete ko arth

आधारित पैटर्नबिहार बोर्ड, पटना
कक्षा12 वीं
संकायकला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc)
विषयहिन्दी (100 Marks)
किताबदिगंत भाग 2
प्रकारभावार्थ (सारांश)
अध्यायपद्य-11 | प्यारे नन्हें बेटे को – विनोद कुमार शुक्ल
कीमतनि: शुल्क
लिखने का माध्यमहिन्दी
उपलब्धNRB HINDI ऐप पर उपलब्ध
श्रेय (साभार)रीतिका
पद्य-11 | प्यारे नन्हें बेटे को भावार्थ (सारांश) – विनोद कुमार शुक्ल | कक्षा-12 वीं

प्यारे नन्हें बेटे को का भावार्थ 

pyare nanhe bete ko arth

प्यारे नन्हें बेटे को
कंधे पर बैठा
‘मैं दादा से बड़ा हो गया’
सुनना यह ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्तियाँ दिगंत भाग 2 के कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” से ली गई है। इसके कवि विनोद कुमार शुक्ल जी है। यह कविता उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह” से संकलित है। इन पंक्तियो मे कवि कहते है की, जब मैंने अपने बेटे को अपने कंधे पर बैठया तो, मैने अपने बेटे से यह कहते सुना की, “मैं दादा से बड़ा हो गया” ।


प्यारी बिटिया से पूछूँगा-
‘बतलाओ आसपास
कहाँ-कहाँ लोहा है’
‘चिमटा, करकुल, सिगड़ी
समसी, दरवाजे की साँकल, कब्जे
खीला दरवाजे में धँसा हुआ’
वह बोलेगी झटपट ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्तियाँ दिगंत भाग 2 के कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” से ली गई है। इसके कवि विनोद कुमार शुक्ल जी है। यह कविता उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह” से संकलित है। इन पंक्तियो मे कवि कहते है की, प्यारी बिटिया से पूछूँगा की ‘बतलाओ आसपास कहाँ-कहाँ लोहा है’। वह झटपट बोलेगी चिमटा, करकुल (करछुल), सिगड़ी समसी, दरवाजे की साँकल, कब्जे खीला दरवाजे में धँसा हुआ’ इन सभी मे लोहा है।


रुककर वह फिर याद करेगी
“एक तार लोहे का लंबा
लकड़ी के दो खंबों पर
तना बँधा हुआ बाहर
सूख रही जिस पर
भय्या की गीली चड्डी !
फिर एक सैफ्टी पिन, साइकिल पूरी ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्तियाँ दिगंत भाग 2 के कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” से ली गई है। इसके कवि विनोद कुमार शुक्ल जी है। यह कविता उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह” से संकलित है। इन पंक्तियो मे कवि कहते है की, मेरी प्यारी बेटी थोरी देर रुकेगी और याद करेगी। बाहर दो खंबों पर एक लोहे का लंबा तार बँधा हुआ है, जिस पर भैया की गीली चड्डी सुख रही है। फिर वो याद करेगी एक साइकिल और सैफ्टी पिन भी है, जो लोहे की है।


आसपास वह ध्यान करेगी
सोचेगी
दुबली पतली पर
हरकत में तेजी कि
कितनी जल्दी
जान जाए वह
आसपास कहाँ-कहाँ लोहा है ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्तियाँ दिगंत भाग 2 के कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” से ली गई है। इसके कवि विनोद कुमार शुक्ल जी है। यह कविता उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह” से संकलित है। इन पंक्तियो मे कवि कहते है की, वो आसपास देखेगी और सोचेगी, वो दुबली पतली है पर, उसकी हरकत मे बहुत तेजी होगी। यह जानने की जल्दी है की कहाँ कहाँ लोहा है।


मै याद दिलाऊँगा
जैसे सिखलाऊँगा बिटिया को
‘फावड़ा, कुदाली,
टँगिया, बसुला, खुरपी
पास खड़ी बैलगाड़ी के
चक्के का पट्टा,
बैलों के गले में
काँसे की घंटी के अंदर
लोहे की गोली ।’

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्तियाँ दिगंत भाग 2 के कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” से ली गई है। इसके कवि विनोद कुमार शुक्ल जी है। यह कविता उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह” से संकलित है। इन पंक्तियो मे कवि कहते है की, मैं अपनी बिटिया को याद दिलाऊँगा, उसे सिखलाऊँगा की ‘फावड़ा, कुदाली, टँगिया, बसुला, खुरपी, पास खड़ी बैलगाड़ी के चक्के का पट्टा, बैलों के गले में काँसे की घंटी के अंदर लोहे की गोली।’ इन सभी मे लोहा है। ये सभी अपना अपना काम करते है।

 


पत्नी याद दिलाएगी
जैसे समझाएगी बिटिया को
‘बाल्टी, सामने कुएँ में लगी लोहे की घिर्री,
छत्ते की काड़ी-डंडी और घमेला,
हँसिया, चाकू और
भिलाई बलाडिला
जगह जगह लोहे के टीले ।’

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्तियाँ दिगंत भाग 2 के कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” से ली गई है। इसके कवि विनोद कुमार शुक्ल जी है। यह कविता उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह” से संकलित है। इन पंक्तियो मे कवि कहते है की, मेरी पत्नी भी याद दिलाएगी, समझाएगी की बाल्टी, सामने कुएँ में लगी लोहे की घिर्री, छत्ते की काड़ी-डंडी और घमेला, हँसिया, चाकू और भिलाई बलाडिला सभी जगह लोहा है।  लोहे की टीले छोटे पहाड़ है। pyare nanhe bete ko arth

 


इसी तरह
घर भर मिलकर
धीरे धीरे सोच सोचकर
एक साथ ढूँढ़ेंगे
कहाँ-कहाँ लोहा है-
इस घटना से
उस घटना तक
कि हर वो आदमी
जो मेहनतकश
लोहा है।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्तियाँ दिगंत भाग 2 के कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” से ली गई है। इसके कवि विनोद कुमार शुक्ल जी है। यह कविता उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह” से संकलित है। इन पंक्तियो मे कवि कहते है की, इसी तरह सारा घर मिलकर ढूँढ़ेगा और समझाएगा कहाँ कहाँ लोहा है। इस घटना से उस घटना तक हर वो आदमी जो मेहनत करता है वो लोहा है। pyare nanhe bete ko arth


हर वो औरत
दबी सतायी
बोझ उठाने वाली, लोहा !
जल्दी जल्दी मेरे कंधे से
ऊँचा हो लड़का
लड़की का हो दूल्हा प्यारा
उस घटना तक
कि हर वो आदमी
जो मेहनतकश
लोहा है
हर वो औरत
दबी सतायी
बोझ उठाने वाली, लोहा ।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्तियाँ दिगंत भाग 2 के कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” से ली गई है। इसके कवि विनोद कुमार शुक्ल जी है। यह कविता उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह” से संकलित है। इन पंक्तियो मे कवि कहते है की, हर वो आदमी जो आपने लड़के को अपने कंधे से उच्चा करता है, लड़की के लिया प्यारा दूल्हा ढूँढ़ता है। उस घटना तक हर वो आदमी जो मेहनत करके आपना जीवन यापन करता है। वो लोहा है। हर वो औरत जो दबी सतायी गई है और जो ये बोझ उठती है, वो लोहा है।


सारांश

व्याख्या

विनोद कुमार शुक्ल जी द्वारा रचित कविता “प्यारे नन्हें बेटे को” उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह” से संकलित है। कवि इस कविता मे कर्म को लोहा बताते है, और कहते है की, जब मैं अपनी प्यारी बेटी से पूछूँगा की बताओ कहाँ कहाँ लोहा है? तो वो आसपास की वस्तुओ को देख कर बोलेगी, चिमटा, करकुल (करछुल), सिगड़ी आदि सब मे ही लोहा है। फिर मैं, मेरी पत्नी, और पूरा परिवार उसे धीरे धीरे समझाएगा की, हम जो काम करते है वही लोहा है। हर वो आदमी जो आपने लड़के को अपने कंधे से उच्चा करता है, लड़की के लिया प्यारा दूल्हा ढूँढ़ता है। उस घटना तक हर वो आदमी जो मेहनत करके आपना जीवन यापन करता है। वो लोहा है। हर वो औरत जो दबी सतायी गई है और जो ये बोझ उठती है, वो लोहा है।


Quick Link

Chapter Pdf
यह अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही इसे publish किया जाएगा । बीच-बीच में वेबसाइट चेक करते रहें।
मुफ़्त
Online Test 
यह अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही इसे publish किया जाएगा । बीच-बीच में वेबसाइट चेक करते रहें।
मुफ़्त
सारांश का पीडीएफ़
यह अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही इसे publish किया जाएगा । बीच-बीच में वेबसाइट चेक करते रहें।
मुफ़्त

हिन्दी 100 मार्क्स सारांश

You may like this

Sipahi ki maa subjective Q and A

गद्य-8 | सिपाही की माँ (प्रश्न-उत्तर) – मोहन राकेश | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

सिपाही की माँ का प्रश्न-उत्तर पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। Q 1. बिशनी और मुन्नी को किसकी प्रतीक्षा है, वे डाकिए की राह क्यों देखती …
Continue Reading…
Ardhnarishwar subjective Q & A

गद्य-4 | अर्धनारीश्वर (प्रश्न-उत्तर) – रामधारी सिंह दिनकर | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

अर्धनारीश्वर का प्रश्न-उत्तर पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। Q 1. ‘यदि संधि की वार्ता कुंती और गांधारी के बीच हुई होती, तो बहुत संभव था …
Continue Reading…
jan jan ka chehra ek arth

पद्य-9 | जन-जन का चेहरा एक भावार्थ (सारांश) – गजानन माधव मुक्तिबोध | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

“जन-जन का चेहरा एक” कविता कवि “गजानन माधव मुक्तिबोध जी” द्वारा लिखी गई है। कवि ने इस कविता मे आंतरिक एकता को दिखाते हुए जनता …
Continue Reading…
Tulsidas Ke Pad Objective 12th

पद्य-3 | पद Objective Q & A – तुलसीदास | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

तुलसीदास के पद का Objective Q & A पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। 1. तुलसीदास का बचपन का नाम क्या था? (A) रामबोला (B) श्यामबोला (C) हरिबोला (D) शिवबोला …
Continue Reading…
tulsidas ke pad bhavarth

पद्य-3 | पद भावार्थ (सारांश) – तुलसीदास | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

तुलसीदास जी का यह पद विनय पत्रिका से संकलित है। वे इस पद में माता सीता से याचना करते हैं, कि हे जगत जननी माँ …
Continue Reading…
Chhppya Objective Q & A

पद्य-4 | छप्पय Objective Q & A – नाभादास | कक्षा-12 वीं | हिन्दी 100 मार्क्स

नाभादास (छप्पय) का Objective Q & A पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें। 1. नाभादास के दीक्षा गुरु कौन थे? (A) नरहरिदास (B) स्वामी अग्रदास (C) वल्लभाचार्य (D) रामानुजाचार्य | …
Continue Reading…

Leave a Comment

Your email address will not be published.

error: Content is protected !!