विवरण
Baatchit subjective Q and A
आधारित पैटर्न | बिहार बोर्ड, पटना |
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कक्षा | 12 वीं |
संकाय | कला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc) |
विषय | हिन्दी (100 Marks) |
किताब | दिगंत भाग-2 |
प्रकार | प्रश्न-उतर |
अध्याय | गद्य-1 | बातचीत – बालकृष्ण भट्ट |
कीमत | नि: शुल्क |
लिखने का माध्यम | हिन्दी |
उपलब्ध | NRB HINDI ऐप पर उपलब्ध |
श्रेय (साभार) | रीतिका |
1. अगर हमने वाक् शक्ति न होती तो क्या होता?
उत्तर
वाक् शक्ति ईश्वर के द्वारा मनुष्य को दिया गया एक वरदान है। अगर हमने वाक् शक्ति न होती तो, सारी सृष्टि गूंगी होती। हम अपनी बातें, अपनी भावनाओं तथा जो सुख-दुख का अनुभव हम करते हैं। वो हम दूसरी इंद्रियों द्वारा करते हैं और ना हम किसी से कह पाते और ना उनकी सुन पाते। हम लोग लुंज-पुंज से होते, मानो तो पशुओं की तरह। Baatchit subjective Q and A
2. बातचीत के संबंध में बेन जॉनसन और एडीसन के क्या विचार हैं?
उत्तर
बातचीत के संबंध में बेन जॉनसन और एडीसन के विचार निम्नलिखित है।
बेन जॉनसन:- बेन जॉनसन का यह कहना कि “बोलने से ही मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है।” यह बहुत ही उचित जान पड़ता है क्योंकि जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण और दोष प्रकट नहीं होता है। Baatchit subjective Q and A
एडिशन:- एडिशन का मत है कि “असल बातचीत से सिर्फ दो व्यक्तियों में हो सकती हैं।” जिसका तात्पर्य यह हुआ कि जब दो आदमी होते हैं तभी अपना मन एक दूसरे के सामने खोलते हैं। तीसरे की उपस्थिति मात्र से ही बातचीत की धारा बदल जाती है। तीन व्यक्तियों के बीच की मनोवृति के प्रसरण की व धारा बन जाती है मानो उस त्रिकोण के तीन रेखाएँ हैं। बातचीत में जब चार व्यक्ति लग जाते हैं तो ‘बेतकल्लुफी’ का स्थान ‘फॉर्मिलिटी’ ले लेती है। Baatchit subjective Q and A
3. आर्ट ऑफ कनवरसेशन क्या है?
उत्तर
“आर्ट ऑफ कनवरसेशन” का अर्थ है, बात या वार्तालाप करने की कला। यूरोप के लोगों का “आर्ट ऑफ कनवरसेशन” पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसके हुनर की बराबरी स्पीच और लेख दोनों नहीं कर पाते इसकी हुनर की पूर्ण शोभा काव्य कला में दिखाई देती है। इस कला में माहिर व्यक्ति लोगों के सामने ऐसे चित्र चतुराई से प्रसंग छोड़ते हैं कि उनसे बात करने वाले लोगों को बहुत अच्छा लगता है। सुहद गोष्ठी इसी का नाम है। सुहद गोष्ठी की विशेषता है कि बोलने वाले व्यक्ति अपनी बातों को इतनी चतुराई से बोलते हैं कि उनके वाक्यों में अभिमान का या कपट कहीं दिखाई नहीं देती है और बातचीत आराम से होती रहती है। Baatchit subjective Q and A
4. मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका क्या हो सकता है ? इसके द्वारा व कैसे अपने लिए सर्वथा नवीन संसार की रचना कर सकता है?
उत्तर
मनुष्य की बातचीत का सबसे उत्तम तरीका खुद से बात करना अर्थात आत्मवार्तालाप है। मनुष्य को चाहिए कि वह अपने अंदर ऐसी शक्ति पैदा कर सकें जिससे वह अपने आप से बात कर लिया करें। स्वयं से बात करना इतना सरल काम नहीं है बरसों के अभ्यास के उपरांत यदि हम थोड़ी देर अपनी मनोवृति स्थिर कर अवाक् हो कर अपने मन के साथ बातचीत कर सकें तो मानो, अहोभाग्य!
हमारी जिह्वा कतरनी के समान सदा स्वच्छंद चलती चला करती है। यदि हम इस पर काबू पाए पा लिया तो क्रोध आने पर भी हम बिना कुछ बोले अपने बड़े बड़े शत्रुओ को जीत, अपने वश में कर सकते हैं। इसलिए अवाक् रह अपने बातचीत करने का यह साधन अन्य सभी साधनों का मूल है, शक्ति परम पूज्य मंदिर है, परमार्थ की एकमात्र सीढ़ी है। इस प्रकार हम नवीन संसार की रचना कर सकते हैं। जिसके कोई किसी का शत्रु नहीं होगा।
5. व्याख्या करें
Baatchit subjective Q and A
(क). हमारी भीतरी मनोवृति प्रतीक्षा नए-नए रंग दिखाया करती है, वह रचनात्मक संसार का एक बड़ा भारी आईना है, जिसमें जैसे चाहो वैसे सूरत देख लो कोई दुर्घट बात नहीं है।
उत्तर
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक हम यह बताना चाहते हैं कि हमारे मन बहुत चंचल है। वह हर क्षण बदलता रहता है। वह किसी वस्तु को देखकर , कभी उसे पाना चाहता है तो कभी उसे नष्ट कर देता है, हमारा मन हर क्षण हमें एक नए रूप रंग से मिलाता है। हमारा मन इस संसार में होने वाली सभी प्रपंच को रचता है और उसका हाल भी करता है “वह इस प्रपंच नाथ मक संसार का एक बड़ा भारी आईना है। इस आईने में हम जैसे चाहे वैसे सूरत देख सकते हैं” इस उलझे हुए, पहेलीनुमा संसार में अनेक प्रकार के लोग हैं सभी की सोचने-समझने तथा बातचीत करने का तरीका अलग-अलग है। जिसके कारण कोई किसी का दुश्मन है तो कोई दोस्त। ये सबकुछ हमारे इस चंचल मन के कारण है। इससे नियंत्रण में रखने का सबसे अच्छा उपाय है। अपने मन पर नियंत्रण अर्थात अपने जिह्वा पर नियंत्रण रखना। Baatchit subjective Q and A
(ख). सच है, जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण-दोष प्रकट नहीं होता।
उत्तर
इस पंक्ति के द्वारा लेखक हमसे यह कहना चाहते हैं कि सभी मनुष्य में सोचने-समझने की शक्ति अलग-अलग होती है। बात करने का तरीका अलग होता है। कुछ लोग बहुत मीठा बोलते हैं वे अपनी बातों को सीधे और सरल तरीके से दूसरों के सामने रखते हैं। जिसे सुनकर लोगों को उनकी बात समझने में आसानी होती है तथा उनसे बात करना लोगों को अच्छा लगता है और कुछ लोग अपनी बातें बातों से लोगों को निराश कर देते हैं। उनकी बातों में अहंकार होता है। वह दूसरों को हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करता है। लोग जैसा सोचते और समझते हैं वैसा ही बोलते इसलिए कहा गया है। जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक इसके गुण और दोष प्रकट नहीं होते। लोग में क्या गुण है और क्या दोष है उसके बोलने तथा आपस में बात करने से पता चलता है। Baatchit subjective Q and A
6. इस निबंध की क्या विशेषताएं हैं?
उत्तर
बालकृष्ण भट्ट के अनुसार सबसे उत्तम प्रकार का बातचीत अपने में वह शक्ति पैदा करना है जिससे व्यक्ति स्व से बात कर सके। बोलने से ही मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है। बातचीत के दरम्यान ही मनुष्य अपने दिल की बात को एक दूसरे के समक्ष प्रकट करते हैं। वास्तव में, जबतक मनुष्य बोलता नहीं है तबतक उसका गुण दोष प्रकट नहीं होता। बातचीत के द्वारा ही दो व्यक्तियों से लेकर मीटिंग या सभा तक की भावना और चाहत को समझा जाता है। एक तरह से देखा जाये तो बातचीत वह केन्द्र बिन्दु है, जिसके द्वारा मनुष्य के अंदर छिपे हुए गुण-दोष को सहज ही समझा जा सकता है। अतः स्पष्ट है कि मौन रहने से व्यक्तित्व का पता लगाना आसान नहीं होता है।
भाषा की बात:-
Baatchit subjective Q and A
1. “राम-रमैया” का क्या अर्थ है? इसका वाक्य में प्रयोग करें।
उत्तर
राम-रमैया का अर्थ है- (केवल बात करना), 4 से अधिक व्यक्तियों के बीच की बातचीत राम-रमैया कहलाती है।
वाक्य:- सोनी अपनी पाँच सहेलियां के साथ पार्क में राम-रमैया कर रही थी।
परिवार के सभी लोग एक साथ बैठकर राम-रमैया कर रहे थे।
2. नीचे दिए गए वाक्यों में से सर्वनाम छांट कर और बताएं कि वे सर्वनाम के किन वेदों के अंतर्गत हैं–
क. कोई चुटीली बात आ गई हँस पड़े।
उत्तर:- कोई, अनिश्चयवाचक सर्वनाम
ख. इसे कौन ना स्वीकार करेगा।
उत्तर:– कौन, प्रश्नवाचक सर्वनाम
ग. इसकी पूर्ण शोभा काव्य कला प्रवीण विद्वन्मंडली में है।
उत्तर:- इसकी, निश्चयवाचक सर्वनाम
घ. वाह प्रंपचात्मक संसार का एक बड़ा भारी आईना है।
उत्तर:- वह, निश्चयवाचक सर्वनाम
ड· हम दो आदमी प्रेम पूर्वक संलाप कर रहे हैं।
उत्तर:- हम, पुरुषवाचक सर्वनाम
3. निम्नलिखित शब्द संज्ञा के किन भेदो के अंतर्गत है–
उत्तर
धुऑं – भाववाचक संज्ञा
आदमी – जातिवाचक संज्ञा
त्रिकोण – जातिवाचक संज्ञा
कान – जातिवाचक संज्ञा
शेक्सपियर – व्यक्तिवाचक संज्ञा
देश – जातिवाचक संज्ञा
मीटिंग – समूहवाचक संज्ञा
पत्र – भाववाचक संज्ञा
संसार – जातिवाचक संज्ञा
मुर्गा – जातिवाचक संज्ञा
मंदिर – जातिवाचक संज्ञा
Baatchit subjective Q and A
4. वाक्य प्रयोग द्वारा लिंग निर्णय करें–
उत्तर
शक्ति – (स्त्रीलिंग), माँ दुर्गा नारी शक्ति का एक रूप है
उद्देश्य – (पुलिंग), मानव अपने उद्देश्य पूर्ति के लिए कुछ भी कर सकता है।
बात – (स्त्रीलिंग), चार लड़कियाँ आपस में बात कर रही हैं।
लत – (पुलिंग), शंकर को नशे की लत है।
नग – (पुलिंग), अंगूठी का नग कहीं गिर गया है।
अनुभव – (स्त्रीलिंग), सही शिक्षा हमें अपने अनुभव से मिलती हैं।
प्रकाश – (पुलिंग), सूर्य के प्रकाश से सारा संसार प्रकाशित होता है।
रंग – (पुलिंग), पानी का कोई रंग नहीं होता है
विवाह – (पुलिंग), विवाह दो लोगों का नहीं दो परिवारों का मिलन होता है।
दांत – (पुलिंग), मेरे भाई के दांत साफ और मजबूत हैं।
Baatchit subjective Q and A
5. निम्नलिखित वाक्यों से विशेषण चुने–
उत्तर
क. हम दो आदमी प्रेम पूर्वक संलाप कर रहे हैं।
उत्तर:- प्रेम पूर्वक संलाप,
ख. इसकी पूर्ण शोभा काव्यकला प्रवीण विद्वन्मंडली में है।
उत्तर:- इसकी, सार्वजनिक विशेषण
ग. सुस्त और बोधा हुआ तो दबे बिल्ली का सा स्कूल भर को अपना गुरु ही मानेगा ।
उत्तर:- सुस्त, बोधा, दबी– गुणवाचक विशेषण
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