विवरण
Pragit aur samaj saransh
| आधारित पैटर्न | बिहार बोर्ड, पटना |
|---|---|
| कक्षा | 12 वीं |
| संकाय | कला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc) |
| विषय | हिन्दी (100 Marks) |
| किताब | दिगंत भाग 2 |
| प्रकार | सारांश |
| अध्याय | गद्य-9 | प्रगीत और समाज -नामवर सिंह |
| कीमत | नि: शुल्क |
| लिखने का माध्यम | हिन्दी |
| उपलब्ध | NRB HINDI ऐप पर उपलब्ध |
| श्रेय (साभार) | रीतिका |
सारांश
Pragit aur samaj saransh
नामवर सिंह द्वारा लिखी गई ये आलोचक निबंध “प्रगीत और समाज” कवि कि आलोचनात्मक निबंधों की पुस्तक “वाद विवाद संवाद” से लिया गया है। इस निबंध में नामवर सिंह ने “प्रगीत” को लेकर समाज में क्या भावनाएं हैं, उसके बारे में लिखा है। “प्रगीत” एक ऐसा काव्य है जिसे गाया जा सकता है। लेखक लिखते हैं कि, कविता पर समाज के दबाव को तीव्रता से महसूस किया जा रहा है। ऐसे वातावरण में लेखक उन कविताओं की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं जिनमें जो लंबी और मानवता से भरी हुई है।
