विवरण
Kadbak Subjective Question
आधारित पैटर्न | बिहार बोर्ड, पटना |
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कक्षा | 12 वीं |
संकाय | कला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc) |
विषय | हिन्दी (100 Marks) |
किताब | दिगंत भाग-2 |
प्रकार | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय | पद्य-1| कड़बक – मलिक मुहम्मद जायसी |
कीमत | नि: शुल्क |
लिखने का माध्यम | हिन्दी |
उपलब्ध | NRB HINDI App पर उपलब्ध |
श्रेय (साभार) | रीतिका |
कवि ने अपनी एक आँख की तुलना दर्पण से क्यों की है ?
उत्तर
कवि एक आँख से देखते है। उसके आधार पर कविता की रचना करते है। इसलिए उनकी आँखे उनका दर्पण है। कवि के पास एक आँख ही है और वह उससे सारे जगत को देखता है। वह अत्यधिक निर्मल है तभी तो वह एक आँख होता हुए भी कविता की रचना करता है। यह आँख उसके लिये कलंक भी नही है – जितना संसार के लोग दोनो आँख से देखते है। कवि वह सब एक ही आँख से देखता है, यही एक कारण है कि वह आँख को दर्पण
पहले कड़बक में कलंक, काँच और कंचन से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर
यह पद कवि मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा रचित कड़बक से लिया गया है। उन्होंने कलंक का तात्पर्य चंद्रमा से किया है, कांच की तुलना कोयला से और सोना तथा कंचन से तात्पर्य सुमेरु पर्वत से है। जो इस बात को स्पष्ट करता है कि इसका संबंध भगवान शिव, उनकी त्रिशूल और माता पार्वती के संदर्भ में है।
पहले कड़बक में व्यंजित जायसी के आत्मविश्वास का परिचय अपने शब्दों में दें ।
उत्तर
कवि जायसी के पास भले ही एक आँख है। उनमें दूसरे का भी हित करने की भरपूर शक्ति है। चाँद भी तो कलंकित है पर उसका प्रकाश कभी कम नहीं होता है। जायसी ने एक ही नेत्र से सारे संसार को देखा है वे इतने तेजश्वी हो गए हैं कि उन्हें संसार में सबकी अच्छाई ही दिखती है। उसका कहना है जहाँ कोई खोट होता है, वही महानता होती हैं। आम, सागर और सुमेरु पर्वत आदि, इसी प्रकार जायसी भी शुद्ध कंचन बन गए हैं। जायसी ने एक ही नेत्र से संसार को देखा है। उनका नेत्र और हृदय निर्मल है और उसका व्यक्तित्व इतना विशाल बन गया है कि लोग उनके सामने झुकते है। उनके कविताओं के सामने झुकते हैं। यही है कवि का आत्मविश्वास। Kadbak Subjective Question
कवि ने किस रूप में स्वयं को याद रखे जाने की इच्छा व्यक्त की है ? उनकी इस इच्छा का मर्म बताएँ।
उत्तर
कवि की कविता रक्त से रची गई है। इसमें गहरे प्रेम की पीरा है अतः कवि को विश्वास है कि उनकी कविता संसार में बनी रहेगी और सदा पहचानी भी जाएगी। उनका मानना यह है कि एक फूल के मुरझाने के बाद भी उसकी सुगंध अमर रहती है। इसी प्रकार कवि का भी यश संसार में अमर रहेगी। यह संसार में बिकता नहीं है। वह हमारे द्वारा किये गये कार्य और कृतित्व के आधार पर प्राप्त होता है। इसी प्रकार कवि की भी कामना है कि उसका यश भी संसार में इसी प्रकार फैलेगा। Kadbjective Question
भाव स्पष्ट करें :
“जाँ लहि अंबहि डांभ न होइ । तौ लहि सुगंध बसाइ न सोई ॥”
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा रचित कड़बक से ली गई है। यहाँ कवि ने बड़े विनम्र भाव से अपनी कुरूपता का संकेत किया है, पर वह यह भी कहते हैं, रूप महत्वपूर्ण नहीं महत्वपूर्ण है गुण।
आम से डांभ जब फूटती है तभी उसकी गंध चारों ओर फैलती है। इसी प्रकार सागर का जल खारा होता है तभी तो वह अपार होता है। इसी प्रकार कवि का कुरूप होना उसके लिए अभिशाप नहीं है वरदान ही है। इस एक आंख से ही उसने सारे जगत को देखा है उन्होंने अपना सारा प्रकाश संसार के सामने पेश कर दिया है जैसे चंदा अपने कलंक से नहीं अपने चांदनी से जाना जाता है।
Kadbak Subjective Question
‘रकत कै लेई’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर
लेई जो जोड़ता है, काव्य भी जोड़ा जाता है। जायसी का काव्य वीरह काव्य है। अतः इस काव्य की रक्त कि तुलना लेइ से की गई है। जिसमें प्रेम-विरह का नयन जल भी समाहित है जो भी इस कविता को पढ़ेगा वह कवि को भी याद करेगा। कवि ने इस कविता को अपने हृदय की पीड़ा को महसुस कर के किया है। इसलिए कभी का अपने कलेजे के खून से रचे इस काव्य के प्रति यह आत्मविश्वास अत्यंत सार्थक और बहुमूल्य है। Kadbak Subjective Question
‘मुहमद यहि कबि जोरि सुनावा ।’ -यहाँ कवि ने ‘जोरि’ शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया है ?
उत्तर
‘जोरि‘ का अर्थ है जोड़ना। कवि का आशय है, मैं स्वयं कुछ नहीं कह रहा हूँ – मैं कुछ कथाओं को जोड़ जोड़कर ही आपको सुना रहा हूँ अर्थात जो कथाएँ भारतीय जीवन में प्रचलित हैं उन्हीं को जोड़-जोड़कर सुना रहा हूँ। Kadbak Subjective Question
दूसरे कड़बक का भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें ।
उत्तर
कवि दूसरे कड़बक मे कहते है, अब कहाँ है, वह रत्नसेन जो ऐसे राजा था? कहाँ है, वह सुआ जो ऐसा बुद्धि लेकर जन्मा था? कहाँ है, वह अलाउद्दीन सुल्तान? कहाँ है, वह राघवचेतन जिस की शान का इतना बखान किया गया है? कहाँ है, वह विश्व सुंदरी रानी पद्मावती? अब कोई नहीं रहा, जग में उनकी कहानियाँ रह गई है। उनकी ध्वनि अब सुनाई नहीं देती है पर उनकी कृतियाँ रह गई हैं । जैसे फूल मर जाते हैं पर उनका सुगंध रह जाता है। किसी ने जगत में अपनी यश को नहीं बेचा है, किसी ने उसे यश का मूल्य नहीं लिया है। जो यह कहानी मैंने पढ़ा है उसी के बारे में सभी से दो बोल बोला है।
व्याख्या करें
“धंनि सो पुरुख जस कीरति जासू । फूल मरै पै मरै न बासू ॥”
उत्तर
इस पंक्ति में रत्नसेन और पद्मावती की चर्चा करते हुए, जायसी यह कहना चाहते हैं कि वहीं पुरुष महान है जिसकी कृति महान होती है। संसार में कोई नहीं रहता सबको जाना है लेकिन संसार में उनकी कहानी रह जाती है। कभी कहते हैं, वे पुरुष धन्य है जिनकी कृति संसार में बनी रहती हैं। वे अपने कुछ उदाहरण द्वारा अपने कथन की पुष्टि करते हैं। जिस प्रकार फूल मुरझा जाता है पर उसकी खुशबू काफी समय तक रहती है। उसी प्रकार व्यक्ति का भी नाम उसके मरने के बाद भी अमर रहता है।
Kadbak Subjective Question
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