विवरण
Kavitt Subjective Question
आधारित पैटर्न | बिहार बोर्ड, पटना |
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कक्षा | 12 वीं |
संकाय | कला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc) |
विषय | हिन्दी (100 Marks) |
किताब | दिगंत भाग-2 |
प्रकार | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय | पद्य-5 | कवित्त – भूषण |
कीमत | नि: शुल्क |
लिखने का माध्यम | हिन्दी |
उपलब्ध | NRB HINDI App पर उपलब्ध |
श्रेय (साभार) | रीतिका |
शिवा जी की तुलना भूषण ने किन किन से की है ?
उत्तर
शिवा जी की तुलना भूषण जी ने इंद्र, बाड़व (समुन्द्र की आग), भगवान राम, वायु, शिवाजी, परशुराम, दावा (जंगल की आग), चीता, शेर और कृष्ण से की है। Kavitt Subjective Question
शिवा जी की तुलना भूषण ने मृगराज से क्यों की है ?
उत्तर
जिस प्रकार जंगल का राजा सिंह होता है उसी प्रकार शिवाजी का भी राज इन म्लेच्छ पर यानि अंग्रेजों पर है उनकी वीरता प्राक्रम, बल और राज करने की क्षमता को दिखने के लिए शिवा जी की तुलना भूषण ने मृगराज से की है । Kavitt Subjective Question
छत्रसाल की तलवार कैसी है ? वर्णन कीजिए ।
उत्तर
छत्रसाल की तलवार सूर्य की प्रलयंकारी किरणों के समान है। जो अंधकार को कटती हुई शत्रु के गर्दन पर नागिन की तरह चलती है छत्रसाल की तलवार जब चलती है ऐसा लगता है जैसे वो काल की देवी माँ काली को प्रसन्न करने के लिए कलेवा दे रही है। Kavitt Subjective Question
नीचे लिखे अवतरणों का अर्थ स्पष्ट करे ।
(क) लगति लपकि कंठ बैरिन के नागिनि सी,
रुद्रहि रिझावै दै दै मुंडन की माल को ।
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग 2 के कवित्त कविता से ली गई है। इसके कवि भूषण जी है। वे इन पंक्तियों के माध्यम से वीर छत्रसाल के शौर्य और वीरता का बखान करते हुऐ कहते है की, आप की तलवार ऐसे चलती है, जैसे नागिन अपने शत्रुओं के गले से लिपट जाती है, और अपने शत्रु को खत्म कर देती है। ऐसा लगता है, जैसे शिव जी को खुश करने के लिए आपकी तलवार मुंडो की माला चढ़ाती हो।
(ख) प्रतिभट कटक कटीले केते कटि कटि ,
कालिका सी किलकि कलेऊ देति कल को ।
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग 2 के कवित्त कविता से ली गई है। इसके कवि भूषण जी है। वे इन पंक्तियों के माध्यम से वीर छत्रसाल के शौर्य और वीरता का बखान करते हुऐ कहते है की, हे राजन आपकी जो प्रलयंकारी तलवार है, वह शत्रु समूह के सिर को इस प्रकार काटती है, जिस प्रकार देवी का कलिका (काली) रूप ने रक्तबीज का संहार